जयपुर: राजस्थान में भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है. माना जा रहा है कि विधानसभा बजट सत्र के बाद भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है. कुछ मंत्री हटाए जा सकते हैं और कुछ विधायकों को मौका दिया जा सकता है. लोकसभा चुनाव परफॉर्मेंस के आधार ये बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. मंत्रिमंडल फेरबदल की सुगबुगाहट ने कई मंत्रियों की नींद उड़ा दी है. माना जा रहा है कि जातीय और क्षेत्रीय समीकरण बैठाने के लिए करीब आधा दर्जन मंत्री नए बनाए जा सकते हैं.
मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार : पिछले दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दिल्ली गए थे. दिल्ली यात्रा के दौरान मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार को लेकर कुछ नेताओं से प्राम्भिक तौर पर चर्चा हो चुकी है. अभी फाइनल चर्चा होनी बाकी है. बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में हुई हार का असर इस मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार में दिखेगा. जिन विधायकों ने अच्छा परिणाम दिया है, उनको मंत्री पद से नवाजा जा सकता है. जिन मंत्रियों के यहां परिणाम खराब आया और मंत्री के रूप में 6 माह की परफॉर्मेंस भी खराब रही है, ऐसे मंत्रियों को हटाया भी जा सकता है.
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पार्टी सूत्रों की मानें तो जिन मंत्रियों की परफॉर्मेंस खराब है, उन मंत्रियों की रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा चुकी है. 4 से 5 मंत्रियों के नाम शामिल है. इसमें दो कैबिनेट और बाकि राज्य मंत्री हैं. इनमें से कुछ मंत्रियों की अलग-अलग मामलों में शिकायतें दिल्ली में ज्यादा पहुंची हैं, जिसकी पुष्टि राजस्थान से कराई गई है. बीजेपी गलियारों में चर्चा है कि कुछ मंत्रियों की पैसे को लेकर शिकायत दिल्ली पहुंची तो केंद्रीय नेतृत्व ने इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार से मांगी है.
मंत्रिमंडल में 30 सदस्य हो सकते हैं : नियमानुसार प्रदेश की सरकार कुल विधायकों के 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्री बना सकती है. प्रदेश की विधानसभा में 200 सदस्य हैं. ऐसे में सीएम सहित कुल 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं. वर्तमान में भजनलाल सरकार में सीएम सहित 24 मंत्री हैं और 6 मंत्री के पद खाली हैं. वहीं, एक मंत्री किरोड़ी मीणा ने इस्तीफा दे रखा है, जिस पर निर्णय होना बाकी है. ऐसे में यदि सरकार 4 से 5 मंत्रियों को हटाती है तो 9 से 10 नए विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि, संभावना यह भी जताई जा रही है कि खाली सभी मंत्री पदों को भरने की जगह दो से तीन मंत्री पद खाली रखे जा सकते हैं, जिन्हें पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव के बाद भरा जाए, क्योंकि उपचुनाव में जो जीत कर आएगा वो पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि के तौर पर होगी.