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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 10, 2024, 9:12 PM IST

Updated : Aug 10, 2024, 10:50 PM IST

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छत्तीसगढ़ में कैदी शादी और अन्य आयोजनों में बजाएंगे बैंड, वजह जान आप भी रह जाएंगे हैरान - Prisoners will play band in wedding

रायपुर के कैदी शादी में बैंड बजाएंगे. फिलहाल सेंट्रल जेल के कुल 13 कैदी प्रैक्टिस कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक कोविड से पहले ये कैदी आयोजनों में बैंड बाजा बजाने का काम करते थे.

PRISONERS WILL PLAY BAND IN WEDDING
कैदी बजाएंगे शादी में बैंड (ETV Bharat)

रायपुर के कैदी बजाएंगे शादी में बैंड (ETV Bharat)

रायपुर:रायपुर के सेंट्रल जेल के बंदी आने वाले दिनों में शादी और धार्मिक आयोजनों में बैंड बाजा बजाते नजर आएंगे. जेल प्रशासन की ओर से 13 कैदियों को बैंड बाजा बजाने की प्रैक्टिस कराई जा रही है. जेल प्रशासन की इस पहल की हर कोई सराहना कर रहा है. बैंड-बाजा बजाना सीख कर कैदी जेल से रिहा होने के बाद समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपना नया जीवन और रोजगार शुरू कर सकते हैं.

कोरोना काल में रुक गया था सिलसिला: रायपुर में कोरोना काल से पहले शादी-विवाह और धार्मिक आयोजन में सेंट्रल जेल के बंदी बैंड बाजा बजाते थे, लेकिन बाद में बैंड बाजा बजाना बंद हो गया था. एक बार फिर यहां के बंदियों को बैंड बाजे की प्रैक्टिस पिछले 20 दिनों से कराई जा रही है. ये सभी कैदी स्वतंत्रता दिवस की प्रैक्टिस कर रहे हैं. शादी विवाह या धार्मिक आयोजन में बैंड बाजा बजाने के लिए जेल मुख्यालय को पत्र भेजा जाएगा.

"कोरोना काल के पहले जेल के बंदी बैंड पार्टी के अहम हिस्सा थे, लेकिन कोविड के बाद बैंड बजाने का यह सिलसिला थम गया था. बैंड पार्टी के पुनर्गठन के लिए फिर से एक बार प्रयास किया गया, जिसके बाद से बंदियों को प्रैक्टिस कराई जा रही है. वर्तमान में 13 बंदियो को प्रशिक्षित किया जा रहा है. प्रारंभिक रूप से स्वतंत्रता दिवस की तैयारी की जा रही है. जेल प्रबंधन ने बताया कि कुछ सामान पहले से उनके पास था और कुछ सामान की मरम्मत कराई गई है, जिसके बाद फिर से बैंड पार्टी तैयार की गई." -अमित शांडिल्य, अधीक्षक, सेंट्रल जेल रायपुर

जेल मुख्यालय को भेजा गया पत्र: रायपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक की मानें तो इन बंदियो को बैंड, ढोल, ताशा, केसियो ऑर्गन जैसे इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध कराए गए हैं. वैवाहिक या फिर धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन में बजने वाले धुन की प्रैक्टिस के लिए दो से तीन महीने का समय लगेगा. पूरी तरह से प्रशिक्षित होने के बाद इन्हें बाहर भेजने के लिए जेल मुख्यालय को पत्र भेजा जाएगा. बंदियों को बैंड बाजा का प्रशिक्षण देने के पीछे मकसद यह है कि जब ये कैदी जेल से बाहर निकले तो समाज की मुख्य धारा से जुड़कर इसे अपने रोजगार और व्यवसाय के रूप में अपना सकें.

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Last Updated : Aug 10, 2024, 10:50 PM IST

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