रायबरेली : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले दलित व ओबीसी वर्ग के लोगों का अफसरों के बीच कितना प्रतिनिधित्व है, इसे लेकर एक सवाल खड़ा किया है. राहुल गांधी के इस सवाल से एक नई बहस भी छिड़ गई है कि सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में बड़े पदों पर कितने प्रतिशत दलित व ओबीसी अधिकारी हैं.
बता दें कि बुधवार को राहुल गांधी नागपुर में संविधान सम्मान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उसमें राहुल गांधी ने रायबरेली की 'दिशा मीटिंग' का जिक्र करते हुए कहा था कि गलती से मैंने मीटिंग में कहा कि भैया आप अफसर हैं, अपना परिचय दे दीजिए. उसमें मुझे एक भी दलित व ओबीसी सुनाई नहीं दिया. मैंने अपने सेकेट्री से कहा कि इन सभी के नाम निकालो और पता लगाओ इनमें दलित, ओबीसी, आदिवासी व माइनॉरिटी के कितने अधिकारी हैं.
मैं गंगाराम हॉस्पिटल जाता हूं तो ढूंढता हूं कि कोई दलित, ओबीसी व आदिवासी डॉक्टर दिख जाए. कॉरपोरेट सेक्टर में जाकर देखता हूं तो कोई मिल जाए. 500 कम्पनियां हैं, 16 लाख करोड़ रुपए मोदी जी ने माफ किया है. यहां मुझे उनमें से चाहे जनरल कास्ट का कोई गरीब मिल जाए उसे देखता हूं. ज्यूडिशरी में आप देख लीजिए आपको देश के किसी भी सेक्टर में 90 फीसदी आदमी दिखेगा नहीं. बहरहाल अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
राहुल गांधी के नागपुर वाले बयान पर योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने काउंटर अटैक किया है. दिनेश प्रताप सिंह ने गुरुवार को रायबरेली से कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि राहुल गांधी जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं. अपने भाषणों में लगातार झूठ बोल रहे हैं देश में अशांति फैलाने का काम कर रहे हैं. जिस तरह का बयान राहुल गांधी दे रहे हैं वह देशद्रोह है अगर जरूरत पड़ी तो वह राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट की शरण में जाएंगे.