लखनऊ: रायबरेली का इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में डेवलप किया जाएगा. संस्थान का संपूर्ण कार्य गवर्निंग बॉडी के नियंत्रण में रहेगा, जिसकी अध्यक्षता परिवहन आयुक्त करेंगे, जबकि परिवहन अधिकारियों के प्रशिक्षण से संबंधित कार्यो को पूरा करने का दायित्व अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) के अधीन रहेगा. सभी अपर परिवहन आयुक्त एवं वित्त नियंत्रक सदस्य होंगे. आईडीटीआर, रायबरेली का तकनीकी संचालन टाटा मोटर्स की तरफ से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत किए जाने का फैसला हो चुका है.
उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया, अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम का विकास उत्तर प्रदेश की आवश्यकताओं, देश में परिवहन क्षेत्र में हो रहे बदलावों, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (मॉर्थ) के निर्देशों के अनुरूप किया जाएगा. वैश्विक स्तर पर परिवहन क्षेत्र में हो रहे नवीनतम विकास को भी आंशिक रूप से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, जिससे अधिकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित कार्यों से रूबरू हो सकें.
उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में तकनीकी उन्नयन, डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे परिवहन प्रबंधन अधिक डिजिटल, कुशल और डेटा संचालित हो सके. स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण प्रणाली, सड़क सुरक्षा विश्लेषण और ई-गवर्नेस को प्रशिक्षण का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा. उन्होंने पाठ्यक्रम को व्यावहारिक अनुभव और केस स्टडी आधारित प्रशिक्षण मॉडल के अनुसार विकसित किया जाएगा, जिससे अधिकारी न केवल नीति निर्माण और प्रवर्तन प्रक्रियाओं को बेहतर समझ सकें, बल्कि उन्हें आधुनिक परिवहन चुनौतियों के प्रभावी समाधान भी मिलें.
ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बीएन सिंह ने बताया कि सार्वजनिक परिवहन और सड़क सुरक्षा से जुड़ी नीतियों का प्रभावशीलता से क्रियान्वयन तभी संभव है, जब अधिकारी इन विषयों की नवीनतम अवधारणाओं से परिचित हों. उत्तर प्रदेश में भी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस), स्मार्ट सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम और मल्टी-मोडल इंटीग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों का व्यवस्थित ट्रेनिंग आवश्यक है.