रायबरेली :आज पूरे देश में नाग पंचमी मनाई जा रही है. जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर गंगागंज में बाबा आस्तिक धाम मंदिर में भी सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी हुई है. मंदिर महाभारत कालीन बताया जाता है. मान्यता है कि यदि किसी भी व्यक्ति को सांप ने काट लिया है तो इस मंदिर में पहुंचने मात्र से ही वह ठीक हो जाता है. यह भी मान्यता है कि आस्तिक बाबा का नाम लेने से सांपों का भय नहीं सताता है.
सावन माह की चतुर्दशी को आस्तिक बाबा मंदिर का विशाल मेला लगता है. इसमें रायबरेली जनपद समेत आसपास के जिलों के भी लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगों का मानना है कि नागपंचमी वाले दिन यहां पर खंभिया चढ़ाने से सांपों के भय से मुक्ति मिलने के साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. खंभिया लकड़ी का बनी एक चीज होती है, जिसके कोने काटकर बीच में कील ठोकी जाती है.
नाग पंचमी के एक दिन पहले ही उमड़ती है भीड़ :आस्तिक बाबा मंदिर के पुजारी सुरेश कुमार तिवारी ने बताया कि मंदिर पर नाग पंचमी के 1 दिन पहले लाखों की संख्या में श्रद्धालु इसलिए आते हैं, जिससे उन्हें साल भर सांप के कोप का शिकार न होना पड़े. पूर्वज बताते थे कि इस मंदिर से पांडवों का भी जुड़ाव रहा है. राजा परीक्षित जंगल में शिकार करने गए थे. उनके बाण से एक हिरण घायल हो गया, लेकिन, वह अचानक गायब हो गया.
राजा परीक्षित ने गले में डाला था सांप :राजा ने आसपास देखा तो उन्हें पास में बैठे एक ऋषि दिखाई दिए. उन्होंने उनसे हिरण के बारे में पूछा. इस पर ऋषि ने कुछ नहीं बताया. इस पर राजा परीक्षित ने उनके गले में एक मृत सांप को डाल दिया. इस पर ऋषि के पुत्र श्रृंगी ने यह सब देखा तो उन्होंने राजा को श्राप दे दिया कि उन्हें एक सप्ताह के अंदर सबसे जहरीला सर्प तक्षक डस लेगा.