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कोरबा में महिला आयोग की जनसुनवाई, नाराज महिला रोते बिलखते निकली बाहर, जानिए पूरी कहानी - Public hearing in Korba

कोरबा में शनिवार को महिला आयोग की जनसुनवाई हुई. इस दौरान एक महिला नाराज होकर रोते-बिलखते हुए बाहर निकली. इस दौरान महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि दूसरे पक्ष के न आने से मामला अटका हुआ है.

Public hearing in Korba
कोरबा में महिला आयोग की जनसुनवाई (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 27, 2024, 10:39 PM IST

नाराज महिला रोते-बिलखते निकली बाहर (ETV Bharat)

कोरबा:महिला आयोग ने शुक्रवार को जिले में सुनवाई की. राज्य भर में यह 261वें नंबर की सुनवाई थी. कलेक्ट्रेट स्थित जिला पंचायत के सभाकक्ष में सुनवाई चल रही थी. सुनवाई अपने अंतिम प्रक्रिया में थी. सुनवाई के लिए 25 प्रकरण रखे गए थे. इस बीच एक पीड़ित महिला आयोग से नाराज होकर रोते-बिलखते हुए सभा कक्ष से बाहर निकल गई. महिला का आरोप था कि 5 साल से वह भटक रही है, लेकिन सिस्टम में उसकी सुनवाई नहीं हो रही. पति का किसी गैर महिला से संबंध है, जिसके कारण उसके बच्चों का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है. वह 5 साल से बेहद परेशान है, जिसकी ओर सबका ध्यान गया.

दूसरे पक्ष की अनुपस्थिति के कारण अटका मामला:जब आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक से इस बारे में सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि, "उस महिला ने जिस पुरुष के खिलाफ शिकायत की है. वह अनावेदक सुनवाई में नहीं आया था, इसलिए मामला अटका है. जिसके कारण वह महिला थोड़ी नाराज थी. जब तक दोनों पक्ष सुनवाई में उपस्थित ना हों, मामले के सुनवाई नहीं की जा सकती. ऐसा होने पर हम पुलिस के माध्यम से अनावेदक को सुनवाई में बुलाते हैं."

महिला कर्मचारी ने लगाया था आरोप :आयोग के समक्ष एक मामला सीएसपीडीसीएल के एक कार्यपालन अभियंता के विरुद्ध आया था. उन पर एक महिला कर्मचारी ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था. आयोग ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें पाया गया कि कार्यपालन अभियंता को विभागीय कार्रवाई में दोषी पाया गया है, इसलिए विभागीय जांच समिति के अध्यक्ष को आयोग ने तलब किया और विभाग की ओर से कार्रवाई किए जाने की बात कही गई.

न्यायालय में प्रकरण लंबित रहते हुए भी महिलाएं कई बार आयोग के समक्ष अपने परेशानी लेकर आती हैं. उन्हें महिला आयोग पर ज्यादा भरोसा है. यहां हम अधिकतम 2 से 3 सुनाई में मामले का निपटारा कर देते हैं, लेकिन जब हम उन्हें समझाते हैं कि मामला दो स्थानों पर एक साथ नहीं चल सकता. तब वह कोर्ट की शरण में जाते हैं. उन्हें कोर्ट से ही न्याय मिलता है. -किरणमयी नायक, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग

आरक्षक भरण पोषण के लिए प्रतिमाह 5000 देना होगा: आयोग के समक्ष पुलिस के बटालियन में पदस्थ आरक्षक की भी शिकायत आई थी. सुनवाई के दौरान आरक्षक ने अपनी पत्नी को भरण-पोषण के लिए 5000 रुपया प्रतिमाा देने की बात स्वीकार की है. आयोग ने इस मामले को सखी वन स्टॉप सेंटर को सुपुर्द किया. साथ ही महिला को मेंटेनेंस दिलवाने की बात पर मामले का निपटारा किया.

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