नई दिल्ली:जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के प्रशासनिक और शैक्षणिक भवनों के 100 मीटर के दायरे में विरोध प्रदर्शन करना दंडनीय अपराध है. इससे संबंधित एक नोटिस JNU प्रशासन ने जारी किया है. जेएनयू की डीन ऑफ स्टैंड स्टूडेंट (डीओएस) प्रोफेसर मनुराधा चौधरी ने बताया कि डीओएस ऑफिस भी एक प्रशासनिक भवन होने के चलते इस श्रेणी में आता है. इसलिए अब 100 मीटर के दायरे में कोई भी छात्र विरोध प्रदर्शन, भूख हड़ताल, धरना नहीं करेंगे. अगर कोई छात्र इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उसके खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा.
वहीं, इस आदेश के बाद छात्र संगठनों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. विद्यार्थी परिषद की जेएनयू इकाई का कहना है कि यह आदेश विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के प्रदर्शन के अधिकार का हनन करता है. विद्यार्थी परिषद का मानना है कि इस आदेश से छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति जताने के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा.
प्रोफेसर के तानाशाही रवैया से छात्र के अधिकार का हननःजेएनयू कैंपस छात्रों के लिए वो जगह है जहां विचारों का आदान-प्रदान होता है. जेएनयू जैसे कैंपस में छात्रों को अपनी समस्याएं उठाने और विरोध करने का अधिकार होना चाहिए. यह आदेश जेनयू वीसी, जेएनयू प्रशासन और डीओएस मनुराधा चौधरी के तानाशाही रवैये को दर्शाता है, जो लगातार छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.
जेएनयू प्रशासन और डीओएस द्वारा जारी किए गए नए मैनुअल में कहा गया है कि डीन ऑफ स्टूडेंट्स कार्यालय/इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन भवन 100 मीटर के दायरे में आती है. किसी भी शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के 100 मीटर के दायरे के भीतर भूख हड़ताल, धरना या किसी अन्य रूप में प्रदर्शन करना या किसी भी शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के प्रवेश या निकास द्वार को अवरुद्ध करना जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियमों (विश्वविद्यालय के विधियों के अधीन संविधि 32(5) के अनुसार) के तहत दंडनीय अपराध है.