रायपुर :छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में 7 चरणों में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में चंद ही घंटे बाकी है.ऐसे में आईए जानते हैं कि जिस ईवीएम में उम्मीदवारों की किस्मत कैद है उससे वोटों की गिनती कैसे होती है.
सबसे पहले खुलता है स्ट्रांग रूम का ताला :वोटिंग वाले दिन सबसे पहले जिला निर्वाचन अधिकारी और राजनीतिक दलों के ऑब्जर्वर्स की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम की सील खोली जाती है.जहां से ईवीएम को उठाकर कड़ी निगरानी में काउंटिंग प्लेस तक लाया जाता है. इस दौरान बीच रास्ते में किसी तरह की गड़बड़ी ना हो इसके लिए भी इलेक्शन कमीशन राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट्स को अपने कारवां में शामिल करता है.
काउंटिंग हॉल में टेबल में वोटों की गिनती :काउंटिंग हॉल में ईवीएम पहुंचने के बाद लोकसभा के हिसाब टेबल लगाई जाती है.जो लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से घट या बढ़ सकती है.फिर निर्धारित समय पर ईवीएम में लगी सील को तोड़ा जाता है. इसकी निगरानी चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त रिटर्निंग अफसर करता है. इसके बाद सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है.पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी हो जाने के बाद दूसरे राउंड में ईवीएम की गिनती शुरु की जाती है.जिन जगहों पर पोस्टल बैलेट नहीं होता,वहां पर पहले राउंड में ही ईवीएम की गिनती शुरु हो जाती है.
एजेंट्स के सामने खोली जाती है ईवीएम : मतगणना में किसी तरह की धांधली ना हो इसका भी खास ख्याल रखा जाता है.जिस किसी भी दल के एजेंट्स मौजूद रहते हैं,उन्हीं के सामने ईवीएम खोली जाती है.हालांकि एजेंट्स को ईवीएम को छूने या पास से जाकर देखने की परमिशन नहीं होती है.इतनी दूरी रखी जाती है कि सभी ईवीएम को देख सके.हर राउंड पूरा होने के बाद एजेंट्स को आंकड़ा बताया जाता है.रिटर्निंग अफसर हर राउंड की जानकारी एजेंट्स को शेयर करता है. हर वोट की जानकारी एजेंट्स के पास पहले से ही मौजूद रहती है. सभी राउंड पूरे हो जाने के बाद जीत हार का कुल आंकड़ा जारी होता है.जारी हुए आंकड़ों से एजेंट्स के आंकड़े मेल नहीं खाने पर ये निर्वाचन अधिकारी के पास शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं.