लखनऊ :प्रदेश में कई ऐसी छोटी राजनीति पार्टियां हैं, जिनका प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभाव है. लोकसभा चुनावों से पहले ऐसे ज्यादातर दल भारतीय जनता पार्टी के साथ हो लिए हैं. कुछ तो पहले से साथ थे ही. जो दल पिछले चुनावों में भाजपा के साथ रहे हैं, उनका जनाधार भी बढ़ा है और सत्ता सुख भी भोगने का अवसर प्राप्त हुआ है. अपना दल (एस), हो या सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अथवा निषाद पार्टी. सभी दलों ने अपनी ताकत बढ़ाई है. हां, सुभासपा विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा का साथ छोड़ सपा के साथ गई, जिसका खामियाजा उसे भोगना पड़ा और विधानसभा चुनावों में वह उतनी सीटें नहीं जीत पाई, जितनी भाजपा के साथ रहते जीत सकती थी. मौके की नजाकत देख पार्टी प्रमुख फिर भाजपा के साथ हो लिए हैं और जल्दी ही मंत्री बन सकते हैं.
अपना दल की एक सीट की मांग :यदि 2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें, तो भाजपा से गठबंधन के बाद अपना दल (सोनेलाल) के 12 प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. वहीं पार्टी के दो नेता लोकसभा सांसद भी हैं. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों में अपना दल चार सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहता है. हालांकि, भाजपा उन्हें दो से ज्यादा सीटें देने के लिए कतई तैयार नहीं है. पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री हैं और उनके पति आशीष पटेल राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. ऐसे में अनुप्रिया चाहती हैं कि उनकी पार्टी का प्रदेश में और विस्तार हो. वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी अपने लिए एक सीट चाहती हैं. भाजपा उनकी मुराद पूरी करेगी, ऐसा लगता नहीं है. हालांकि, अपना दल की मांग जारी है.
भाजपा के साथ जाने का फायदा :राष्ट्रीय लोकदल का पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर अच्छा जनाधार है. इस पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था और आठ सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. एक सीट पर बाद में उपचुनाव हुआ वह भी आरएलडी के खाते में ही गई. हालांकि, अब लोकसभा चुनाव रालोद, भाजपा के साथ मिलकर लड़ने का मन बना रही है. बस आधिकारिक घोषणा होनी शेष है. रालोद भाजपा से अपने लिए चार सीटों की मांग कर रही है, लेकिन भाजपा उनकी यह मांग शायद ही माने. वहीं, समाजवादी पार्टी उन्हें सात सीटें देने पर राजी थी. ऐसा लगता है कि रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को भाजपा के साथ जाने में ही ज्यादा फायदा दिखाई दे रहा है. इसीलिए वह कम सीटें पाकर भी भाजपा के हमराही होना चाहते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश की योगी सरकार में उनकी पार्टी को प्रतिनिधित्व मिल जाएगा और यदि भाजपा दोबारा सत्ता में लौटती है तो केंद्र की मोदी सरकार में भी मंत्री बनने का भी जैकपाॅट लग सकता है.