चंडीगढ़:शुक्रवार को चंडीगढ़ में कर्मचारियों ने जनसभा कर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला. चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ सेक्टर 17 में कर्मचारियों ने आक्रोश जनसभा का आयोजन किया. जनसभा में सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि किसी कीमत पर चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा. कर्मचारियों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास किया, तो बिजली और अन्य विभागों के कर्मचारी काम बहिष्कार कर उपभोक्ताओं को साथ सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.
चंडीगढ़ में कर्मचारियों का प्रदर्शन: जनसभा में फैसला किया गया कि 6 दिसंबर को देशभर में बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे. जनसभा में कर्मचारियों ने ऐलान किया कि किसी भी कीमत पर मुनाफे में चल रहे विभाग को निजी हाथों में सौंपने नहीं दिया जाएगा. जन सभा में सांसद मनीष तिवारी भी पहुंचे और उन्होंने जनता एवं कर्मचारियों के विरोध के बावजूद निजीकरण के फैसले को जनविरोधी बताते हुए कहा कि आगामी शीतकालीन सत्र में वो इस मामले को संसद में जोरदार तरीके से उठाएंगे.
बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध: जनसभा में पंजाब ,हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, यूपी व राजस्थान के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर भी शामिल हुए और चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट की. नेशनल कमेटी के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र दुबे के साथ यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ के प्रधान ध्यान सिंह व महासचिव गोपाल दत्त जोशी समेत यूटी चंडीगढ़ एम्पलाइज एंड वर्कर ने इसमें भाग लिया और ऐलान किया की जिस दिन निजी कंपनी टेक ओवर करेगी, उसी दिन चंडीगढ़ के कर्मचारियों के साथ सभी राज्यों में बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर भी कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर डटकर संघर्ष करेंगे.