नई दिल्ली: थैलेसीमिया से पीड़ित गरीब बच्चों के लिए अब अपोलो अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा निशुल्क दी जाएगी. केंद्र सरकार इसका खर्च उठाएगी. अस्पताल द्वारा इस तरह के गरीब बच्चों की सभी जांच करने के बाद इसका प्रस्ताव भारत सरकार के उपक्रम कोल इंडिया को भेजा जाएगा. जांच पर होने वाला 50 से 60 हजार का खर्चा पीड़ित बच्चे के परिवार को उठाना होगा. इसके बाद कॉल इंडिया ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट पर होने वाले 12 से 15 लाख रुपये के खर्च को वहन करेगा.
दरअसल, थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के इलाज को बढ़ावा देने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत कोल इंडिया इन बच्चों के इलाज के खर्च को वहन करेगा. इस बीच विशेषज्ञों ने बताया कि इससे थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों तक उपचार सेवाएं पहुंचाने में सहयोग मिलेगा. जानकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और थैलेसीमिया इंडिया के साथ मिलकर कोल इंडिया लिमिटेड का सीएसआर कार्यक्रम थैलेसीमिया बाल सेवा योजना चल रही है, जिसे आगे बढ़ाने के लिए इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के साथ यह साझेदारी की है.
विशेषज्ञों ने बताया कि यह पहल थैलेसीमिया और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता वाले गंभीर अप्लास्टिक एनीमिया से प्रभावित बच्चों की देखभाल और सहायता का विस्तार करने के लिए बनाई गई है. इस दौरान नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के सेंटर फॉर बोन मैरो ट्रांसप्लांट एंड सेल्युलर थेरेपी के निदेशक और पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गौरव खरया ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट और सेल्युलर थेरेपी के बारे में बताया कि यह काफी महंगा इलाज होता है. जिसका खर्चा उठाना सामान्य आदमी के लिए संभव नहीं है.