रांची: आदिवासियों के प्रमुख त्योहार सरहुल के दिन (11 अप्रैल) पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को सलाखों के पीछे प्रदर्शित करती झांकी और जेल का ताला टूटेगा, हेमंत सोरेन छूटेगा जैसे स्लोगन का मामला तूल पकड़ने लगा है. इस मामले में जिला प्रशासन की ओर से केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष समेत 26 लोगों के खिलाफ कोतवाली थाना में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ है. लेकिन भाजपा इसे साजिश बता रही है. वहीं सत्ता पक्ष की अपनी दलील है.
झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का कहना है कि इस तरह की झांकी निकालना आचार संहिता का उल्लंघन है. जिन लोगों ने ऐसा कुकृत्य किया है, उन्हें फौरन गिरफ्तार किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने मांग उठाई कि जिन लोगों ने पर्दे के पीछे से इस तरह का काम करवाया है, उनके नापाक चेहरे को जनता के सामने लाने की जरुरत है.
भाजपा का कहना है कि सारा खेल सुनियोजित था. प्रशासन के सहयोग के बिना ऐसा नहीं हो सकता. इसकी जांच होनी चाहिए. ईद की नमाज के बाद फिलिस्तीन का झंडा दिखाए जाने पर भी भाजपा ने सरकार को घेरा. दीपक प्रकाश ने कहा कि जब से झारखंड में झामुमो की सरकार बनी है, तब से यह राज्य देशद्रोहियों का शरणस्थल बन गया है.
झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि यह मामला चुनाव आयोग से जुड़ा हुआ है. आयोग को निष्पक्षता दिखानी चाहिए. भाजपा के प्रत्याशी भगवान राम की तस्वीर लेकर वोट मांगते हैं. सरहुल के दिन कई झांकियां निकाली गई थी. उनमें एक झांकी में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ की गई बर्बरतापूर्ण कार्रवाई को प्रदर्शित किया गया था. साथ ही सरना धर्म कोड, सीएनटी, छत्तीसगढ़ के बस्तर में अडाणी को माइनिंग के लिए जंगल देने समेत कई स्लोगन लिखे गये थे. ये सारी बातें जनभावना से जुड़ी थी. फिर भी जिनपर प्राथमिकी हुई है, वे जवाब देंगे.
वहीं, सत्ता में शामिल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि सरहुल के त्योहार को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए. सरहुल का पर्व राजनीति का हिस्सा नहीं है. यह परंपरा चली आ रही है. समितियां झांकियां निकालतीं हैं. अगर जनभावना को झांकी के जरिए प्रकट किया जाता है, तो इसको गलत रुप में नहीं लेना चाहिए.