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2024 में फिर लौटेगी बीजेपी या विपक्ष की होगी सरकार, जानें फर्रुखाबाद की राजनीति का समीकरण - फर्रुखाबाद राजनीति दल सरगर्मी

फर्रुखाबाद में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ गई है. आइए नजर डालते हैं यहां के राजनीतिक हालात पर.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 28, 2024, 8:35 PM IST

फर्रुखाबाद : लोकसभा चुनाव 2024 बेहतर नजदीक है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी लगतार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगा रही है. वहीं विपक्षी दल भी उलटफेर करने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. चुनाव से पहले यूपी की फर्रुखाबाद सीट पर क्या है समीकरण, आइए जानते हैं.

कई हस्तियों की जन्मस्थली और कर्मस्थली

फर्रुखाबाद वह जिला है, जहां का राजनीतिक इतिहास काफी पुराना है. यहां से कई बड़े सियासी नाम निकाले हैं. राम मनोहर लोहिया से लेकर सलमान खुर्शीद तक कई ऐसे नाम है, जिनका ताल्लुक फर्रुखाबाद से है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां क्लीन स्वीप किया था. जिले का अधिकांश क्षेत्र ग्रामीण है और कृषि आधारित है. जिले में कोई बड़ा उद्योग धंधा भी नहीं है. समाजवादी नायक राम मनोहर लोहिया की कर्मस्थली है यह भूमि. वहीं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की जन्मस्थली भी है. कांग्रेस के वरिष्ट नेता सलमान खुर्शीद यहीं से आते हैं. मशहूर कवियत्री महादेवी वर्मा की जन्मस्थली भी फर्रुखाबाद है.

यहां से आलू बड़े-बड़े मंदिरों से लेकर विदेश तक भेजा जाता है. व्यवसाय के रूप में जनपद में कपड़ों पर प्रिंटिंग कार्य भी मशहूर है. यहां के कपड़े देश-विदेश तक भेजे जाते हैं. जिले में कपड़ों की एक विशेष प्रकार की कढ़ाई जरदोजी का कार्य भी पड़े पैमाने पर किया जाता है. यहां की बनी लहंगा-साड़ी की भी बेहद मांग है. जरदोजी का कार्य अधिकांश अल्पसंख्यक समाज के हाथों में है.

भाजपा को लगातार मिली सफलता

कांग्रेस के सांसद पंडित मूलचंद दुबे की मौत के बाद 1963 के उपचुनाव में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया मैदान में उतरे थे. 1962 में चीन से मिली हार के बाद देश में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश का माहौल था. 1963 में उपचुनाव में लोहिया को जीत मिली. फर्रुखाबाद लोकसभा में पांच विधानसभा हैं. फर्रुखाबाद सदर, भोजपुरी, अमृतपुर, कायमगंज तो वहीं एक एटा की अलीगंज विधानसभा है. 2019 लोकसभा चुनाव में जिले में 17 लाख से अधिक मतदाता थे. पिछले तीन लोकसभा चुनाव की बात करें तो वर्ष 2019 में भाजपा से सांसद मुकेश राजपूत चुने गए थे. 2014 के चुनाव में भी जनता ने भाजपा प्रत्याशी मुकेश राजपूत पर ही विश्वास कर उनको जीत दर्ज कराई थी. जबकि 2009 में चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सलमान खुर्शीद ने विजय हासिल कर कैबिनेट मंत्री का पद पाया था.

2024 में फिर लौटेगी बीजेपी या विपक्षी की होगी सरकार?

2024 की लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों तैयारी में जुटी हैं. एक तरफ भाजपा फिर से बहुमत के साथ सत्ता में आने का दवा कर रही है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन की कवायद भी दिख रही है. कांग्रेस अपनी खोई साख जुटाने में लगी है. इस सबके बीच फर्रुखाबाद लोकसभा के चुनावी समीकरण पर चुनावी समीकरण में जाति समीकरण अधिक प्रभावी दिखाई दे रहे हैं. लोकसभा में पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या अधिक है. सर्वाधिक संख्या लोधी राजपूत मतदाताओं की है. वहीं कहार,यादव मतदाता भी काफी संख्या में हैं. सवर्ण मतदाताओं में ठाकुर और ब्राह्मण मतदाताओं का भी प्रभाव है. वहीं अल्पसंख्यक मतदाता भी यहां हैं. अनुसूचित जाति के मतदाताओं में सर्वाधिक संख्या जाटव मतदाताओं की हैं. अब आने वाला समय ही बताएगा कि 2024 में किसकी बनेगी.

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