इंदौर:40 साल पहले भोपाल में हुई दुनिया की सबसे भीषण यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी में बचे कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध शुरू हो गया है. पीथमपुर की रामकी कंपनी में इसे जलाने को लेकर भारत सरकार की सहमति बनने के बाद पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने कचरे को जलाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का विरोध शुरू
भोपाल के यूनियन कार्बाइड में गैस कांड होने के बाद यहां बचे अवशिष्ट और कचरे को जलाने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है. इस मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद सहमति बनी थी कि पीथमपुर स्थित रामकी फैक्ट्री मे इसे जलाया जा सकता है लेकिन अब भारतीय मानव अधिकार परिषद एवं पीथमपुर बचाव समिति द्वारा कचरे के रासायनिक दुष्प्रभाव की आशंका के चलते पीथमपुर में इसे जलाने का विरोध किया जा रहा है. इसी के विरोध में मंगलवार को रीगल तिराहे पर प्रदर्शन किया और रैली निकालकर संभाग आयुक्त कार्यालय में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया.
'कचरा जलाना स्वास्थ्य के लिए घातक'
भारतीय मानव अधिकार परिषद के प्रदेश अध्यक्ष सलीम शेख और पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष हेमंत हीरोले का कहना है कि "जहरीला रासायनिक युक्त कचरा ना केवल पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के पर्यावरण की दृष्टि से खतरनाक है बल्कि आम जनता और बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य के साथ भी यह घातक साबित होगा. 40 साल पहले हम भोपाल गैस त्रासदी में इस जहरीले गैस कांड से पीड़ित लोगों की दशा देख चुके हैं और भोपाल गैस त्रासदी का दुखद अनुभव अभी भी सभी को है. यदि उनकी मांगों को नहीं माना जाता है तो कोर्ट में अपील दायर करेंगे."
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