नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आपरेशन चक्र पार्ट 2 के तहत गिरफ्तार 43 कथित साइबर ठगों में से तीन को 4 दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया. शेष 40 आरोपियों को 9 अगस्त तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. कोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी.
साइबर ठगी के मास्टरमाइंड का अब तक पता नहीं
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने बताया कि य़ह बहुत गंभीर मामला है. इसके तार विदेश से जुड़े हैं. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं लेकिन अभी मास्टरमाइंड का पता नहीं चला है. सीबीआई ने कहा कि हमने तीन लोगों की पहचान की है जिनसे पूछताछ के जरिये इस पूरे अपराध की साजिश की तह तक पहुंचा जा सकता है. इस मामले में और बरामदगी की जा सकती है. हमारे पास विदेशी नागरिकों से बातचीत की रिकॉर्डिंग मौजूद है. इस बातचीत में इनके अपराध के अंजाम के तरीके के बारे में बात की गई है.
सीबीआई ने आरोपियों को हिरासत में लेने के 24 घंटे की समयसीमा में कोर्ट में नहीं किया पेश
15 मिलियन अमेरिकी डॉलर के लेन देन का हमें शक है. इस बारे में तहकीकात के लिए कस्टडी जरूरी है. सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई पुराने फैसलों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इन फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक इस केस में आरोपियों की गिरफ्तारी पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी है क्योंकि इस मामले में सीबीआई ने आरोपियों को हिरासत में लेने के 24 घंटे की समयसीमा में कोर्ट में पेश नहीं किया.
आरोपियों को सीबीआई ने 26 जुलाई को कोर्ट के सामने पेश किया
आरोपियों के वकील ने दलील दी कि कोर्ट से सर्च वारंट लेने के बाद 24 जुलाई को सीबीआई का का कॉल सेंटर सर्च पर ऑपरेशन शुरू हो गया था. इन सबको बाहर जाने की इजाज़त नहीं थी. लेकिन आरोपियों को सीबीआई ने 26 जुलाई को कोर्ट के सामने पेश किया. इस लिहाज से देखा जाए तो ये 24 से 26 जुलाई तक आरोपी हिरासत में ही थे. चूंकि इस केस में 24 घंटे की समयसीमा में आरोपियों को कोर्ट में पेश नहीं किया गया. इस लिहाज से गिरफ्तारी और रिमांड रद्द होनी चाहिए.