मनोरंजन सहाय की बागबानी. (ETV Bharat) पटना: राजधानी पटना के कदमकुआं में रिटायर्ड बैंक अधिकारी मनोरंजन सहाय रहते हैं. इनके घर पर दो दर्जन से अधिक ऐसे पेड़ को गमले में लगाकर रखा है जो विशाल वृक्ष का छोटा स्वरूप है. देखने में यह बेहद खूबसूरत लगता है. यकीन नहीं होता कि इतने पुराने पेड़ इतने छोटे गमले में अपने स्वरूप में नजर आएंगे. दरअसल, इन पौधों को बोनसाई कहा जाता है. बोनसाई पेड़ का बेहद ही छोटा स्वरूप होता है जिसको एक विशेष विधि के जरिए ग्राफ्टिंग और खूब देखभाल करके बौना रूप दिया जाता है.
घर में तैयार किया गया बोनसाई. (ETV Bharat) घर में तैयार किया गया बोनसाई. (ETV Bharat) 25 से 35 साल पुराने पौधेः मनोरंजन सहाय बताते हैं कि हिंदू धर्म में बरगद, पीपल, पाकड़ और नीम को बहुत ही पवित्र पेड़ माना जाता है. उन्होंने बताया कि उनकी जब बच्चे हुए तब उन्होंने इन पौधों को गमला में लगाया था. वह बॉटनी के स्टूडेंट रहे थे. ऐसे में उन्होंने इन पौधों का बोनसाई बनाने का निर्णय लिया. दो दर्जन से अधिक उनके पास ऐसे पौधे हैं जो 25 से 35 वर्ष पुराने हैं. इनका विशेष तरीके से केयर करना पड़ता है. एक बोनसाई 10 से 15 साल का होता है, तब अपने रूप में आने लगता है.
"1990 में जब बेटी पैदा ली थी तब बरगद के पौधे को लगाया था. आज इसका स्टिल्ट रूट इतनी निकल चुका है और मिट्टी में अपनी जड़ी मजबूत कर चुका है कि पता नहीं चलता कि इस पेड़ का मुख्य तना कौन सा है. पीपल, पाकड़ के साथ-साथ नीम, समी, सेमर, कल्पवृक्ष, चीकू, अनार, अखरोट, का बोनसाई है."- मनोरंजन सहाय, रिटायर्ड अधिकारी
घर में तैयार किया गया बोनसाई. (ETV Bharat) घर में तैयार किया गया बोनसाई. (ETV Bharat) क्या होता है बोनसाईः इसे मिनिएचर वृक्ष की कला भी कहा जाता है. एक ऐसी विधा है जिसमें पेड़-पौधों को छोटे आकार में विकसित किया जाता है. यह कला जापान से निकलकर पूरी दुनिया में फैल चुकी है और आज के शहरी जीवन में इसका महत्व तेजी से बढ़ रहा है. खासकर महानगरों में, जहां खुली जगहों की कमी होती जा रही है, वहां लोग इस कला को न केवल अपने घरों और कार्यालयों की शोभा बढ़ाने के लिए, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन के लिए भी अपनाते हैं.
घर में तैयार किया गया बोनसाई. (ETV Bharat) घर में तैयार किया गया बोनसाई. (ETV Bharat) इसे भी पढ़ेंः