बिहार

bihar

ETV Bharat / state

पटना HC ने पश्चिम चंपारण SP के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया - PATNA HIGH COURT

पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. एसपी के खिलाफ है विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया. पढ़ें खबर.

PATNA HIGH COURT
कॉसेप्ट फोटो (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 18, 2025, 9:38 PM IST

पटना :पटना हाईकोर्ट ने पश्चिम चंपारण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है. जस्टिस विवेक चौधरी ने यह पाया कि एसपी की लापरवाही के कारण सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो गया, जिससे जांच प्रभावित हुई.

क्या है पूरा मामला ? :दरअसल, सुरेश यादव को 19 अप्रैल 2024 को बेतिया मुफस्सिल थाना कांड संख्या 180/2024 में 4 किलो चरस के साथ गिरफ्तार किया गया था. पुलिस के अनुसार, दो अन्य गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में सुरेश यादव का नाम लिया था. सुरेश यादव की पत्नी ने 3 मई 2024 को आवेदन देकर घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने की मांग की थी, ताकि सच सामने आ सके.

HC ने माना लापरवाही :पुलिस ने तर्क दिया कि फुटेज 20 दिनों के बाद ऑटोमेटिक डिलीट हो जाता है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे लापरवाही मानते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए. हालांकि, कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने का आदेश दिया.

पटना उच्च न्यायालय (Etv Bharat)

प्रधानाचार्य पदों पर आरक्षण का मुद्दा : वहीं दूसरी तरफ, पटना हाईकोर्ट ने बिहार के महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य पदों पर आरक्षण के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से जवाब तलब किया है. ये जनहित याचिका सतीश कुमार शर्मा ने दायर की है. एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार व जस्टिस पार्थ सारथी ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ता ने क्या पक्ष रखा है ? : याचिकाकर्ता ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि एकल पद पर आरक्षण लागू करना विभिन्न न्यायिक निर्णयों के विरुद्ध है. उन्होंने अपनी याचिका में विभिन्न विधिक पहलुओं को उठाते हुए यह दावा किया कि इस नीति से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित होगी, बल्कि यह संवैधानिक एवं विधिक दृष्टिकोण से भी अनुचित है.

'यह शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता' :याचिका में कोर्ट को बताया गया कि प्रधानाचार्य भी एक शिक्षक हैं. अतः किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति या पदस्थापना केवल ऐसे महाविद्यालय में की जानी चाहिए, जहां उसका अपना विषय पढ़ाया जाता हो. यदि किसी विषय-विशेष के शिक्षक को ऐसे महाविद्यालय का प्रधानाचार्य बना दिया जाए, जहां वह विषय ही नहीं पढ़ाया जाता, तो यह शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.

'एकल पदों पर आरक्षण न्यायिक रूप से असंगत' :याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कला महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य पदों को विज्ञान या बहु-संकाय महाविद्यालयों के साथ मिलाना विधिसम्मत नहीं है. यह प्रावधान शैक्षणिक प्रशासनिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है तथा महाविद्यालयों की स्वायत्तता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. एकल पद पर आरक्षण संवैधानिक सिद्धांतों के विरुद्ध है. सुप्रीम एवं विभिन्न हाईकोर्ट के पूर्ववर्ती निर्णयों का हवाला देते हुए यह तर्क दिया गया कि एकल पदों पर आरक्षण लागू करना न्यायिक रूप से असंगत है.

दो सप्ताह बाद सुनवाई :याचिकाकर्ता का दावा है कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा लिया गया यह निर्णय शिक्षा एवं प्रशासनिक संतुलन के सिद्धांतों के विरुद्ध है. यह मामला न केवल नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह आरक्षण नीति एवं न्यायिक निर्देशों के दायरे में आने वाले संवेदनशील मुद्दों में से एक है. यदि महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य पद पर आरक्षण लागू किया जाता है, तो इससे योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होगा. इस मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ें :-

'सिर्फ ब्रेथ एनालाइजर से जांच कर FIR अवैध', पटना HC का शराबबंदी पर बड़ा फैसला

'अवैध तरीके से गिरफ्तार करने वाले पुलिस अफसरों पर 15 दिनों में कार्रवाई करें', DGP को पटना HC ने दिया आदेश

ABOUT THE AUTHOR

...view details