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पतंजलि के सहयोग से संभल के तीर्थ स्थलों को दुनिया जानेगी, जिला प्रशासन ने किया MOU पर हस्ताक्षर - SAMBHAL ADMINISTRATION SIGNED MOU

संभल को पर्यटन और तीर्थाटन के मानचित्र पर किया जाएगा स्थापित, पतंजलि करेगी मदद

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पतंजलि करेगी संभल के विकास में मदद (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 11, 2025, 9:21 PM IST

संभल: यूपी के संभल को पर्यटन और तीर्थ क्षेत्र के मानचित्र पर स्थापित करने के लिए जिले के कलेक्टर ने नई पहल की है. उन्होंने संभल की सभी धरोहरों को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ MOU किया है. संभल के वैभव को वापस लाने और भविष्य की योजनाओं पर काम करने के लिए इस MOU को किया गया है. इस पहल से संभल को पर्यटन नगरी के तौर पर विकसित किए जाने की संभावनाओं को बल मिला है. इसी के साथ संभल कल्कि देव तीर्थ समिति की स्थापना की गई.

बता दें कि जिला अधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया संभल की सभी धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने पर लगातार काम कर रहे हैं. पेंसिया का दावा है कि संभल को पर्यटन नगरी के तौर पर विकसित करना है इसीलिए वे इस दिशा में काम कर रहे हैं. शनिवार को सदर तहसील सभागार में DM राजेंद्र पेंसिया और SP कृष्ण कुमार विश्नोई की अध्यक्षता में संभल कल्कि देव तीर्थ समिति की स्थापना की गई.

पतंजलि और जिला प्रशासन के बीच एमओयू (Video Credit; ETV Bharat)

कलेक्टर पेंसिया ने बताया कि आज संभल कल्कि देव तीर्थ समिति की स्थापना की गई. समिति की आज पहली बैठक की गई. समिति के मूल आठ सदस्य हैं इसके अतिरिक्त संभल शहर के संभ्रांत नागरिक और संत हैं उन्हें भी इसका सदस्य बनाया गया है. उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य संभल के जो 87 तीर्थ और 5 महातीर्थ है सभी को एक साथ लेकर इसके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व की जो धरोहर है उसकी योजना ओर रणनीति बनाई जा सके. उन सभी का संरक्षण और सुरक्षा की जा सके.

DM डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि संभल को पर्यटन और तीर्थाटन के मानचित्र पर स्थापित करने के लिए शनिवार को पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ MOU भी हुआ. DM ने कहा कि इसी के साथ शनिवार को पहली मीटिंग हुई. सभी के विचार लिए गए कि भविष्य में किस रणनीति और प्लानिंग के साथ संभल के वैभव को वापस लाया जाए. साथ ही संभल के जो एनजीओ ओर सांस्कृतिक महत्व के संगठन हैं उन्हें भी इससे जोड़ेंगे जिससे ओर भव्य रूप दिया जा सके. उन्होंने कहा कि वर्तमान में किस तरह से इतिहास को लिखा जाए इस पर चर्चा हुई और भविष्य में विशेषज्ञता की जरूरत होगी तो वो भी पतंजलि से लेंगे.

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