पन्ना।मंदिरों की नगरी पन्ना में श्री 1008 प्राणनाथ संप्रदाय में पृथ्वी परिक्रमा की अनूठी प्राचीन परंपरा आज भी जारी है. 400 साल से ये परंपरा निभाई जा रही है. इसमें भाग लेने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे. परिक्रमा की कुल दूरी लगभग 20 किलोमीटर है. परिक्रमा में पन्ना नगर के आसपास की पहाड़ियों को पार करते हुए श्रद्धालु खेजड़ा मंदिर पहुंचते हैं. खेजड़ा मंदिर पहुंचने पर महाआरती का आयोजन होता है. इस दौरान श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है.
मध्यप्रदेश के पन्ना में पृथ्वी परिक्रमा, जानिए- क्या है 400 साल से जारी परंपरा - PANNA PRITHVI PARIKRAMA
श्री 1008 प्राणनाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर पृथ्वी परिक्रमा करने के लिए देश के अलावा विदेश से भी श्रद्धालु पहुंचे.
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Nov 15, 2024, 7:40 PM IST
प्रसाद वितरण के बाद यात्रा पुनः शुरू होती है. दीपक शर्मा व्यास गद्दी के पुजारी बताते हैं "पृथ्वी परिक्रमा की अनूठी परंपरा लगभग 400 वर्षों से निभाई जा रही है. जब भगवान श्री कृष्ण जी रास अखंड खेलने के बाद अंतरध्यान हो जाते हैं तो सखियां कृष्ण जी को ढूंढने निकलती हैं. सखियां कृष्ण जी के लिए बेलों से पत्ते से पूछती हैं कि क्या आपने कृष्णजी को देखा है. सखियां जानवरों से पूछती हैं. लेकिन जब जवाब मिलता है कि आप अपने पति को नहीं पकड़ पाई तो हंसी उड़ती है."
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सुबह 6 बजे से शुरू होती मंदिरों की परिक्रमा
बता दें कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर अखंड रासलीला होती है. इसके एक माह बाद बृजलीला चालू होती है. श्री कृष्ण को जंगल, नदी के पास श्रद्धालु खोजते हैं. विंध्याचल की पर्वत की अखंड भूमि पर श्रद्धालु अखंड परिक्रमा करते हैं. पृथ्वी परिक्रमा सुबह 6 बजे शुरू होती है. पहले छोटी परिक्रमा की जाती है. गुमट जी मंदिर, बंगला जी मंदिर, राधाजी का मंदिर, सद्गुरु मंदिर की परिक्रमा के बाद बड़ी देवन मंदिर से होकर कमलाबाई तालाब, कौवा सेहे किलकिला नदी पार करते हुए गाजे-बाजे के साथ श्रद्धालु खेजड़ा मंदिर पहुंचते हैं. यहां पर महाआरती होती है.