पन्ना:दिवाली पर लोग बाजार जाते हैं और रंग बिरंगी लाइटों के साथ आर्टिफिशियल दीयों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से मिट्टी के दिये और दूसरे सामान शहर लाकर बेचने वाले कुम्हारों की बिक्री फीकी है. ऐसे में ये छोटे दुकानदार जनता से मार्मिक अपील करते नजर आ रहे हैं कि हाथ से बने हुए दिये खरीदें ताकि हम भी दिवाली मना सकें.
दिये बनाने वाले की जनता से मार्मिक अपील
मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर रोहित प्रजापतिने बताया कि "मार्केट बहुत मंदा चल रहा है और लोग चाइना के दिये और चाइना की झालर खरीद रहे हैं, जिससे हमारे हाथ से बने हुए मिट्टी के दिये बिक नहीं रहे हैं. मैं जनता से यही अपील करना चाहता हूं कि लोग मिट्टी के हाथ के बने हुए दिये अपने घर में जलाएं, जिससे हम भी दीपावली मना सके और अपने घर में भी दीपक जला सकें."
'बड़ी मेहनत से बनते हैं मिट्टी के दिये'
कारीगर एवं दुकानदार रोहित प्रजापति ने बताया कि "देशी मिट्टी के दिए बड़ी मेहनत से बनाए जाते हैं. जिसके लिए दीपावली के कुछ महीने पूर्व ही तैयारी शुरू कर दी जाती हैं. सर्वप्रथम मिट्टी की तलाश शुरू की जाती है जिसमें कंकड़ ना हो, सिर्फ मिट्टी ही मिट्टी हो उसको लाकर घर में इकट्ठा किया जाता है. फिर उसे पानी डालकर कई दिनों तक भिगोकर गूथा जाता है. इसके बाद ही देसी दिये बनाने का काम शुरू होता है. मिट्टी को संतुलित आधार में गूथा जाता है जिसमें ना ज्यादा नमी हो ना ज्यादा कड़ी हो. इसके बाद फिर चक्के की सहायता से एक-एक दिए बनाए जाते हैं और फिर इनको कई दिनों तक धूप में सुखाया जाता है और सूखने के बाद फिर इन दीयों को आग में पकाने का काम किया जाता है इसके बाद ही देसी मिट्टी के दिये बनकर तैयार होते हैं."