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बृहस्पति कुंड में है महाकाल के समय का शिवलिंग, कुंड के पानी से ठीक हो जाती हैं लाइलाज बीमारियां - Panna Brihaspati Kund - PANNA BRIHASPATI KUND

यदि आप कभी पन्ना यात्रा पर जा रहे हैं तो एक बार बृहस्पति कुंड जरूर जाएं. प्रकृति की गोद में बने इस कुंड की गुफा में स्थापित शिवलिंग महाकाल के समय का बताया जाता है. यहां एक सरस्वती कुंड भी है जिसका पानी ना कभी बढ़ता है और ना ही कम होता है.

PANNA RELIGIOUS HISTORICAL PLACE
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 10, 2024, 6:27 PM IST

बृहस्पति कुंड में है महाकाल के समय का शिवलिंग

पन्ना।जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर और कालिंजर से लगभग 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित है धार्मिक, पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल बृहस्पति कुंड. चारों ओर हरियाली से घिरे इस कुंड की गुफाओं और चट्टानों के बीच स्थापित है प्रचीन शिवलिंग. शिवलिंग के पास ही एक कुंड है जिसे सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस कुंड के पानी में नहाने से कई लाइलाज बीमारियां ठीक हो जाती हैं.

पन्ना का बृहस्पति कुंड

महाकाल के समय का है शिवलिंग

बृहस्पति कुंड के शिव मंदिर में स्थापित है प्राचीन शिवलिंग. रूपल दास महाराज बताते हैं कि बृहस्पति कुंड की गुफाओं और चट्टानों के बीच में स्थित शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है यह महाकाल में स्थापित शिवलिंग के समय का बताया जाता है. शिवलिंग के पास नंदी भगवान की भी बहुत ही प्राचीन प्रतिमा स्थापित है.

देवताओं ने प्रकट किया था जल

शिवलिंग के पास सरस्वती कुंड भी स्थित है. जिसकी मान्यता है कि इसका पानी न कभी कम होता है और ना कभी बढ़ता है, चाहे ज्यादा बारिश हो या कितनी ही तेज गर्मी हो, पानी का लेवल एक सा रहता है. रूपल दास महाराज आगे बताते हैं कि सरस्वती कुंड का पानी दैवीय जल है. यह जल देवताओं ने यहां प्रकट किया था. इस पानी के पीने से कई लाइलाज बीमारियां ठीक हो जाती हैं. वे दावा करते हैं कि जिस व्यक्ति का बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है, वह यहां यदि 5 बृहस्पति स्नान कर ले तो उसका बृहस्पति ग्रह मजबूत हो जाता है.

शिवलिंग के पास है सरस्वती कुंड

देवगुरु बृहस्पति ने किया था यज्ञ

कहते हैं कि इस स्थान पर देवताओं के धार्मिक देव गुरू बृहस्पति ने एक आश्रम की स्थापना की थी और इसलिए इसका नाम बृहस्पति कुंड हो गया. इसके साथ पौराणिक आस्था भी जुड़ी हुई है. विद्वानों का मानना है कि देव गुरू बृहस्पति ने यहां यज्ञ किया था, बाद में भगवान श्रीराम वनवास अवधि के दौरान अनेक ऋषि मुनियों से मिलने के लिए यहां आए थे. इसलिए यह स्थान पवित्र और पावन है.

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6 दूसरे कुंड भी मौजूद हैं यहां

रूपल दास महाराज बताते हैं कि सरस्वती कुंड के अलावा यहां पर 6 दूसरे कुंड भी स्थित हैं. जिसमें सूरज कुंड, गुफा कुंड, सूखा कुंड, हत्यारा कुंड ,वेघा कुंड और पटालिया कुंड है. इन सभी कुंडों का अलग-अलग महत्व है.

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