पंचकूला: पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके...जी बिल्कुल ये पंक्तियां महज किसी गाने की नहीं, बल्कि ऊंची उड़ान भरकर मिलों-मिल का सफर तय कर एक देश से दूसरे देश का सफर तय करने वाले पक्षियों के जीवन की है. प्रवासी पक्षियों का चहचहाना किसी भी देश के मौसम, खुशहाली और खूबसूरती की पहचान है.
अब हरियाणा के जिला पंचकूला में भी प्रवासी पक्षी- साइबेरियन सारस, ग्रेटर फ्लेमिंगो व अन्य कई प्रजाति के पक्षियों की अलग-अलग टोलियां अठखेलियां करती दिखाई देंगी. क्योंकि पंचकूला स्थित माता मनसा देवी मंदिर परिसर के पास अब पक्षियों का अपना घरौंदा बनकर लगभग तैयार हो चुका है. नतीजतन लोक लुभावने पक्षियों की सुबह और शाम अब इसी इमारत के फ्लैट नुमा घरौंदों से होगी.
इस सप्ताह से होगा आनाजाना-चबूतरे से चुगेंगे दाना:अपने इस घर में अलग-अलग रंग और आकार के विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का आना-जाना लगभग इसी सप्ताह से शुरू हो जाएगा. अब इस विशेष इमारत के सबसे निचले हिस्से में महज एक चबूतरा बनना शेष रह गया है, जो चंद दिन में बनकर तैयार हो जाएगा. फिर लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहट बिखरने वाले कई प्यारे पक्षी यहां चबूतरे से अपना दाना-चुग चुग कर उड़ान भरेंगे और शाम होने पर फिर वहीं लौट आएंगे.
प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा शरद ऋतु: भारत में शरद ऋतु आने पर विशेषकर उत्तर भारत में मौसम ठंडा होने पर प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजाति टोलियां यहां आती हैं. चंडीगढ़ की सुखना झील हो, नेपाली फॉरेस्ट हो या फिर आसपास के अन्य पहाड़ी क्षेत्र, प्रवासी पक्षी हर साल यहां आकर अपना बसेरा बनाते हैं. यहां अनेक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां देखी जाती हैं, यहां तक कि कई दुर्लभ प्रजातियां भी यहां देखी गई हैं. अब इस कड़ी में पंचकूला भी शुमार होने जा रहा है.