सीतापुर :पाल्हापुर नरसंहार कांड में पुलिस की थ्योरी किसी के गले नहीं उतर रही है. एक शख्स पूरे परिवार का बेरहमी से खात्मा करके खुद को भी गोली से उड़ा लेता है और घर के अंदर मौजूद मृतक के भाई को इसकी भनक नहीं लगती है. रात के स्याह सन्नाटे में दूर तलक गूंजने वाली आवाज भी दीवारों के बीच दबकर रह जाती है. पुलिस की इस कहानी पर गौर भी कर लें तो भी बड़ा सवाल यह कि मृतक का भाई बयान क्यों बदल रहा है. सबसे हैरतअंगेज तथ्य तो यह है कि अनुराग से बचाने के लिए जिस कमरे में अजीत जा छिपा था. उसमें खून के धब्बों को मिटाने के निशान आखिरकार कहां से आए. एक और अहम सवाल यह कि जिस कमरे में अजीत ने खुद को बंद कर लिया था उसके दरवाजों में भेलन नहीं, बल्कि सिर्फ एक सिटकनी ही थी.
पाल्हापुर नरसंहार कांड. (Photo Credit ; Etv Bharat) यह भी पढ़ें : 6 हत्याओं से दहला सीतापुर; मां को गोली मारी, पत्नी को हथौड़े से कूचा, 3 बच्चों को छत से फेंका, खुद को भी उड़ाया - Sitapur Murder
ऐसे ही तमाम यक्ष प्रश्न हैं, जिनके जवाब या तो पुलिस के पास हैं नहीं या फिर वह देना नहीं चाहती है. हत्याकांड का मुकदमा दर्ज करने से परहेज करने वाली रामपुर मथुरा पुलिस ने मृतक के भाई अजीत सिंह की तहरीर पर जिस तरह से आनन-फानन अनुराग के खिलाफ केस दर्ज किया. उससे भी सवालों का जन्म लेना लाज़िमी है. वह भी तब जब मृतका का भाई चीख- चीख कर पूरी घटना में तमाम तरह के आरोपों की बौछार कर रहा है.
पाल्हापुर नरसंहार कांड. (Photo Credit ; Etv Bharat)
घटना के बाद अजीत सिंह ने बयान दिया था कि शनिवार भोर तीन बजे के करीब शोरगुल सुनकर कमरे से बाहर आया तो अनुराग उसे मारने के लिए दौड़ा जिस पर कमरे में घुसकर जान बचाई. इसके बाद अजीत सिंह ने बयान बदलते हुए बताया कि सुबह पांच बजे के करीब लघुशंका करने वह उठा तो पीछे का दरवाजा खुला देखकर वह बाहर निकला तो बाहर तीनों बच्चों के रक्तरंजित हालत में पड़े देख कर शोर मचाया. अजीत के पारिवारिक प्रभाकर सिंह सूचना पाकर मौके पर पहुंचे और बच्चों को अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी की चाभी मांगी तो अजीत ने चाभी न मिलने का बहाना बनाते हुए तकरीबन आधा घंटे से अधिक का वक्त लगा दिया. इसके अलावा चर्चा है कि इसके पीछे कई चश्मदीदों की जुबान खामोश है.
पाल्हापुर नरसंहार कांड. (Photo Credit ; Etv Bharat) बहरहाल घटनास्थल से मिले शव भी अलग ही कहानी बयां कर रहे थे. घर में दाखिल होते ही बाएं कमरे में अजीत की मां सावित्री का शव पड़ा था. थोड़ा सा आगे बढ़ने पर दाहिनी ओर डबलबेड पर अनुराग का शव था. पहली मंजिल पर पड़ी चारपाई पर अनुराग की पत्नी प्रियंका का शव पड़ा था और घर के बाहर तड़पते तीन मासूम बच्चे थे. ऐसे में जिस कमरे में अजीत था, वहां से खून पोछने के निशान पुलिसकर्मियों ने भी देखे थे. पुलिसकर्मियों ने चमकती फर्श पर खून के पोछे जाने के निशान देखकर उस पर पैर रखने से मना किया था. इस सबके बीच अनुराग के साले ने इसे हत्या करार दिया तो पुलिस को बैकफुट पर जाना पड़ा. हालांकि जांच की बात कहते हुए पुलिस अभी तक पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है.
अजीत व उसकी पत्नी को हिरासत में लिया
नरसंहार के अगले दिन रामपुर मथुरा पुलिस व क्राइम ब्रांच टीम ने शिक्षक अजीत के घर मे तकरीबन साढ़े तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की. सूत्रों की मानें तो पुलिस का जोर इस बात पर था कि जब घटना के वक्त उसे जानकारी हो गई तो शोर क्यों नहीं मचाया गया. हत्याकांड में बयान बदलने व गंभीर सवालों के सुलगने के बाद पुलिस के शक की सुई अजीत की तरफ घूम गई. लंबी पड़ताल के बाद रामपुर मथुरा पुलिस व क्राइम ब्रांच अजीत सिंह व उसकी पत्नी विभा सिंह को हिरासत में लेकर रामपुर मथुरा थाने गई है. हालांकि पुलिस महज पूछताछ की बात कह रही है.
अनुराग के मारी गई थीं दो गोलियां!
सूत्रों की मानें तो अनुराग के जिस्म पर दो गोलियां दागी गई थीं. अगर यह सच है तो यह संभव कैसे है. पुलिस के प्रथमदृष्टया बयान को सच माना जाए तो अनुराग ने मां, पत्नी व तीन बच्चों का कत्ल करने के बाद खुद को गोली से उड़ा लिया था. अमूमन गोली मारकर हत्या करने वाला व्यक्ति खुद को एक ही गोली मार सकता है. पहली गोली खुद के जिस्म में मारने के बाद असलहे को फिर से लोड करके दूसरी गोली अपने ही शरीर में मारना जानकारों की राय में संभव नहीं होता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि अनुराग की किसी ने गोली मारकर हत्या की है. मृतक के चाचा आरपी सिंह ने बताया कि इंस्पेक्टर रामपुर मथुरा ने उससे सवाल किया था कि अनुराग के दो गोलियां लगने से उसकी हत्या किए जाने की संभावना अधिक है.
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