जैसलमेर: पाकिस्तान और भारत के दरमियान ऐसी कड़वाहट ने जगह बना ली है कि आज के दौर में दोनों देशों के बीच किसी रिश्ते की कल्पना मुश्किल लगती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसी पाकिस्तान में एक कौम ऐसी भी है, जिसने आज तक अपने सारे रिश्ते भारत से ही रखे हैं. ये कौम पाकिस्तान के सिंध में रहने वाली सोढ़ा राजपूत जाति है. सोढ़ा राजपूत अपनी बेटियों की शादी पाकिस्तान में नहीं करते. उनके समुदाय की सभी लड़कियों की शादियां बॉर्डर के इस पार बसे राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर आदि इलाके में हुई है. अबकी बार पाकिस्तान की बेटी मीना की शादी जैसलमेर में होने जा रही है. इसके लिए बेटी वाले जोधपुर आए हुए हैं. शादी मंगलवार रात में होगी.
गौरतलब है कि राजस्थान की पूर्व रियासतों की रिश्तेदारियां सरहद पार पाकिस्तान में सालों से हैं. देश के बंटवारे से पहले इन रियासतों में शादी संबंध आम थे, लेकिन आजादी के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच इस तरह के रिश्तों की चर्चा होना लाजिमी है. एक पिता जिसके पूर्वज पाकिस्तान में रह रहे हैं, वह खुद भी पूरी उम्र वहीं रहा, लेकिन अब अगली पीढ़ी को वहां नहीं रखना चाहता. इसलिए बेटे के बाद अब बेटी की भी शादी जोधपुर में करने जा रहे हैं. इसके लिए वह भारत में रह रहे हैं.
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पाकिस्तान में है करोड़ों की संपत्ति: उनकी पाकिस्तान में जमींदारी है और लाखों-करोड़ों की संपत्ति है. पाकिस्तान के अमरकोट के रहने वाले गणपत सिंह सोढ़ा की बेटी मीना की शादी मंगलवार रात में जोधपुर में होने जा रही है. जैसलमेर के मोहनगढ़ कस्बे के बाराना गांव के रहने वाले महेंद्र सिंह पुत्र नजपत सिंह भाटी की शादी मीना से होने जा रही है. उनके जीवन साथी बनेंगे महेंद्र सिंह भाटी. वे जैसलमेर से बारात लेकर जोधपुर के लिए निकल चुके हैं, जहां दोनों परिणय सूत्र में बंधेंगे. महेंद्र सिंह भाटी पेशे से सरकारी टीचर हैं.
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भारत की नागरिकता लेने की योजना: महेंद्र सिंह भाटी के चाचा गिरधर सिंह ने बताया कि इस रिश्ते से पाकिस्तान के सिंध और हिंद के रिश्तों में मजबूती होगी. अपनी बेटियों के भविष्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भारत में बसने का फैसला किया है. उनकी बेटी मीना सोढ़ा शादी के लिए पिछले कुछ सालों से अपने रिश्तेदारों के साथ भारत में ही रह रही थी. बेटी की शादी के बाद वे खुद भी भारत की नागरिकता लेकर यहीं बसने की योजना बना रहे हैं. उनका मानना है कि भारत न केवल बेटियों की सुरक्षा, बल्कि पूरे परिवार के लिए बेहतर और सुरक्षित जीवन प्रदान कर सकता है. यह शादी केवल एक पारिवारिक समारोह नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच के सांस्कृतिक संबंधों और सीमाओं के पार मानवता की एक मिसाल है.