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कोरबा में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पी रहे गंदा पानी, किसकी लापरवाही ? - Pahadi Korwa drinking drain water - PAHADI KORWA DRINKING DRAIN WATER

जिस गंदे पानी में आप पैर रखना भी मुनासिब नहीं समझते उसी पानी को पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग पी रहे हैं. हद इस बात की है कि जिस "ढोढ़ी" का पानी ये सालों से पीते आ रहे हैं उसी "ढोढ़ी" में आकर मवेशी भी पानी पीते हैं.

Pahadi Korwa drinking drain water in Korba
गढ्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर पहाड़ी कोरवा

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 22, 2024, 7:57 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 12:09 PM IST

गढ्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर पहाड़ी कोरवा

कोरबा: पानी की चाहे जितनी भी किल्लत हो जाए.पैसे वालों के लिए मिनरल वाटर हर गली हर दुकान पर उपलब्ध है. लेकिन राष्ट्रपति के दत्त पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा की हालत आज भी वैसे ही है जैसे सालों पहले हुआ करती थी. पहाड़ी कोरवा आज भी सरकारी बेरुखी की मार बदस्तूर झेल रहे हैं. कोरबा जिला मुख्यालय से महज 35 किमी दूर बाघमारा बस्ती है. इस बस्ती में पहाड़ी कोरवा रहते हैं. यहां के लोग सालों से गांव के बाहर बहने वाले नाले का पानी पीते हैं.

गढ्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर पहाड़ी कोरवा: बाघामारा में रहने वाले विशेष संरक्षित जनजाति के पहाड़ी कोरवा के लोगों ने नाले के पास ही एक गड्ढा खोद रखा है. नाले के पास खोदे गए गड्ढे में पानी जमा होता रहता है. गांव के लोग इसी जमा पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं. गांव तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन की योजना भी यहां पहुंची लेकिन हालात देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी योजना कैसे यहां आकर फेल हो गई. गांव में एकाद हैंडपंप भी हैं लेकिन वो भी खराब पड़े हैं. सरकारी अफसरों की मनमानी और बेरुखी का नतीजा है कि पहाड़ी कोरवा इन गड्ढों का पानी पीने को मजबूर हैं.

जल जीवन मिशन को अफसर लगा रहे पलीता: केंद्र सरकार की योजना है कि प्रत्येक परिवार को पीने का पानी उसके घर तक पहुंचाया जाए. इस उद्देश्य को लेकर जल जीवन मिशन की शुरुआत हुई. बीते 5 सालों में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रही और केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का प्रदेश में बुरा हाल रहा ऐसा आरोप हमेशा से लगता रहा है. कहा ये भी जाता है कि राज्य और केंद्र के झगड़े के बीच योजना फंस गई. जिसका नुकसान ग्रामीणों को झेलना पड़ा. जल जीवन मिशन की बदहाल स्थिति विधानसभा में भी मुद्दा बन चुकी है. इस पर जमकर सदन में बहस भी हुई. बावजूद इसके बाघमारा के रहने वाले पहाड़ी कोरवा लोगों की जिंदगी में कोई सुधार नहीं हुआ. आज भी ये लोग मीलों का सफर तय कर पानी भरने के लिए नाले पर आते हैं.

बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी होती है. जिस गड्ढे से हम पानी भरने आते हैं उसके बीच में एक नाला बहता है. बरसात के दिनों में इस नाले में उफान आया रहता है. जिसे पार करना लोगों के लिए काफी मुश्किल होता है. नाले में पानी का बहाव जब कम होता है तब हम उसे पार कर पानी लेकर लौटते हैं. हम लोग लंबे वक्त से पीने के पानी के लिए इसी गड्ढे पर आश्रित हैं. हमारे पीने के पानी के लिए यही एकमात्र पानी का स्रोत है. घर में एक साल पहले ही नल लगा है लेकिन पानी उसमें से नहीं आता है. जब नल से पानी नहीं आता है तो हम मजबूर होकर यहां पानी लेने के लिए आते हैं. - दीपमती, पहाड़ी कोरवा, बाघमारा

बस वोट मांगने आते हैं नेताजी: गांव वालों का आरोप है कि वो पिछले कई सालों से इस गड्ढे का पानी पी रहे हैं, इसी गड्ढे में मेंढक भी रहते हैं पानी गंदा होन के बावजूद ये लोग इस्तेमाल करने के मजबूर हैं. गांव में हैंडपंप लगे हैं लेकिन इन हैंडपंपों से पानी नहीं आता है. गांव वालों का कहना है कि ये भी खराब हैं इनको ठीक करने कोई नहीं आता. नल जल योजना के तहत जो कनेक्शन लगे हैं उसमें पानी नहीं आता है. नेताजी यहां आते हैं और समाधान का आश्वासन देकर चले जाते हैं.

''यहां से गड्ढा खोदकर हम पानी की इंतजाम करते हैं. 27 से 28 साल हो गए इसी गड्ढे के भरोसे हमें पानी पीने को मिल रहा है. अपनी भाषा में हम इस गड्ढे को चुआं या ढोढ़ी बोलते हैं. नहाने के लिए तो हम नदी पर चले जाते हैं. पीने के पानी के लिए हम यहां आते हैं. इसी गड्ढे से गाय, बैल और बाकी मवेशी पानी पीते हैं. इसी से हम भी पानी पीने के लिए ले जाते हैं. चुनाव के वक्त नेता लोग गांव गांव आते हैं वोट मांगते हैं. जब हम उनको कहते हैं हमारे गांव में पानी नहीं है, हम लोग नाले से लाकर पानी पीते हैं तो वो हमारी बातें सुनकर चले जाते हैं. कई बार कहते हैं जल्द तुम्हारा काम हो जाएगा. लेकिन हम लोगों का जीवन ऐसे ही चल रहा है.''. - भोग राम, पहाड़ी कोरवा, बाघामारा

गांव अजगरबहार और आसपास के कुछ गांव के लिए पहले मल्टीविलेज योजना के तहत काम किया जा रहा था. बाद में योजना में परिवर्तित करके ट्यूबवेल के माध्यम से पानी पहुंचाने की योजना बनी. योजना में बदलाव होने के कारण ही नल कनेक्शन में अब तक पानी नहीं दिया जा सका है. अनिल कुमार, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, पीएचई

आदर्श आचार संहिता का हवाला:पीएचई विभाग के इंजीनियर जिस आदर्श आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं. इसके अलावा अधिकारी का दावा है कि ग्रामीण पीएचई विभाग को हैंडपंप खराब होने की जानकारी नहीं देते, साथ ही ये भी कह रहे हैं कि हर पंचायत सचिव के पास मैकेनिक के भी नंबर है. हालांकि अब एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आचार संहिता खत्म होने के बाद जल्द हैंडपंप सुधरवाने का आश्वासन दे रहे हैं.

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Last Updated : Apr 23, 2024, 12:09 PM IST

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