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चित्रकूट दीपोत्सव में भोजपुरी गानों के साथ पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने बांधा समा

Chitrakoot Deepotsav: चित्रकूट दीपोत्सव में पद्म श्री मालनी अवस्थी ने भोजपुरी गानों की प्रस्तुति दी.

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चित्रकूट दीपोत्सव में मालनी अवस्थी (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 30, 2024, 1:14 PM IST

चित्रकूट: दीपोत्सव चित्रकूट तीर्थ विकास बोर्ड द्वारा तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के दूसरे दिन लोक गायिका पद्म श्री मालनी अवस्थी ने अपनी प्रस्तुति दी है. उनकी प्रस्तुति के दौरान उनका विख्यात गाना सैया मिलो लरकइया गाना सुनकर श्रोता झूम उठे. ताली की गड़गड़ाहट से कार्यक्रम स्थल गूंज उठा.

धर्म नगरी चित्रकूट में दीपोत्सव, चित्रकूट तीर्थ विकास बोर्ड द्वारा तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें, बुंदेलखंड से जुड़े पुरानी संस्कृति, लोक कलाओं को प्रस्तुत किया जा रहा है. जिसके चलते दूसरे दिन लोक गायिका पद्म श्री मालनी अवस्थी ने अपनी प्रस्तुति दी. उन्होंने अपने प्रस्तुति के दौरान भगवान श्रीराम से जुड़े सोहर और बिहारी छठ गीतों के गाने गाकर महफिल में समा बांध दिया. इतना ही नहीं, मालनी द्वारा गाया हुआ विख्यात गाना, सैया मिलो लडरकाइया गाना सुनकर श्रोता झूम उठे और ताली बजाने के लिए मजबूर हो गए.

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पद्म श्री मालनी अवस्थी ने कहा, कि आज चित्रकूट में आकर- गाकर के ऐसा लग रहा है जैसे कि मानो तीर्थ में आकर गंगा स्नान कर लिया हो ,मुझे बहुत प्रसन्नता है कि इतना शुभ दिन है. जब भगवान श्रीराम अयोध्या में पहली दिवाली प्राण प्रतिष्ठा के बाद मनाएंगे. यही चित्रकूट में रहकर जिन्होंने वन में तपस्या की ऐसे चित्रकूट में आज ढाई घंटे प्रस्तुति देकर भगवान राम के नाम का सुमिरन करना बहुत-बहुत आनंद आया.

मालनी अवस्थी ने कहा, समाज में सबसे बड़ा परिवर्तन तो यह आया है, कि जो दीपावली में लक्ष्मी गणेश पूजन के बहाने थोड़ा व्यापारिक दृष्टि से लोग उसे ज्यादा देखने लगे थे, कि धनतेरस में जो खरीद लिया उसकी पूजा होने लगी. लेकिन, राम कथा के बहाने जो उसका वास्तविक उद्देश्य है जो अयोध्या में कल देखेंने को मिलेगा. यही दीपावली है. भगवान राम के 14 वर्ष तपस्या करने के बाद सारे कष्ट सहने के बाद अपने घर लौटना, इसमें सुखांत है इतना सुंदर संदेश है. मुझे लगता है, कि ये आज के बच्चे जान रहे है सीख रहे हैं आज दीपावली सच्चे अर्थों में मनाई जा रही है.

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