रायपुर :छत्तीसगढ़ विधानसभा में सुकमा जिले के नक्सली क्षेत्र में पुल निर्माण को लेकर विधानसभा में जोरदार हंगामा हुआ. कोंटा विधायक कवासी लखमा ने पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव से सड़क और नालों पर बने पुल निर्माण को लेकर सवाल किया.इन पुलों का निर्माण कार्य आदर्श आचार संहिता के दौरान ही शुरु किया गया था. पीडब्ल्यूडी मंत्री ने कवासी लखमा के सवाल पर जब जवाब दिया तो कवासी इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए.
क्या था कवासी का आरोप :कवासी लखमा ने मंत्री अरुण साव से जिन पुलों के बारे में जानकारी मांगी थी,दरअसल आरोप हैं कि बिना टेंडर के ही दो फर्मों को बुलाकर पुल बनाने का काम दे दिया गया.यही नहीं जिस सड़क पर ये पुल बनाए जा रहे हैं कि वो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने हैं,लेकिन उसे अब पीडब्लयूडी बना रहा है. कवासी लखमा ने आरोप लगाए कि एक ही नाले पर तीन पुल बनाए जा रहे हैं.जबकि एक बड़ा पुल बनाने से ना सिर्फ समय की बचत होती बल्कि जनता के पैसों का दुरुपयोग नहीं होता.एक ही नाले पर तीन पुल बनाने का क्या औचित्य है.
कवासी लखमा के सवाल पर अरुण साव का जवाब (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
अरुण साव का जवाब : कवासी लखमा के सवालों पर अरुण साव ने कहा कि जिन पुलों की बात की जा रही है.उन्हें मई महीने में बनाना शुरु किया गया था.जिसका टेंडर अभी खोला जाएगा. संबंधित ठेकेदारों और फर्म को इस निर्माण कार्य के लिए एक रुपए का भी भुगतान नहीं किया गया है.रही बात सड़क निर्माण की तो कवासी लखमा ने सिर्फ दो पुलों के निर्माण का प्रश्न लगाया है.यदि वो सड़क निर्माण का अलग से प्रश्न लगाएंगे तो इसका जवाब दिया जाएगा. वहीं अनियमितता नहीं हुई है.क्योंकि नक्सल बेल्ट होने के कारण जवानों के कैंपों में राशन और दूसरी सामग्री पहुंचाने के लिए इन पुलों को बारिश से पहले बनाना जरुरी था.इसलिए निर्माण कार्य जिला प्रशासन की अनुमति से शुरु करवाया गया था.लेकिन इस काम के लिए अभी तक कोई भी भुगतान नहीं हुआ है.
विधानसभा में बिना टेंडर पुल निर्माण पर हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
अरुण साव के जवाब से विपक्ष असंतुष्ट :अरुण साव के जवाब का जब कवासी लखमा ने विरोध किया तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह से आग्रह किया कि माननीय मंत्री से ये पूछा जाए कि बिना टेंडर के काम शुरु करने वाले अधिकारी और इंजीनियरों पर क्या वो कार्रवाई करेंगे.क्योंकि आदर्श आचार संहिता लगा होने के कारण ना तो राज्य सरकार से अनुमति ली गई और ना ही टेंडर बुलवाया गया.सिर्फ दो लोगों को बुलाकर काम बांटा गया है.जो सीधा-सीधा भ्रष्टाचार है. वहीं कवासी लखमा, उमेश पटेल समेत कांग्रेस के दूसरे सदस्यों ने भी कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा करना शुरु किया.
अरुण साव भ्रष्ट हैं के लगे नारे :अरुण साव ने हंगामा होते देख एक बार फिर ये बताने की कोशिश की कि जो काम करवाए गए हैं,उनमें एक रुपए का भी भुगतान नहीं हुआ है.टेंडर खोलने के बाद ही निर्माण कार्य की राशि के हिसाब से भुगतान होगा. लेकिन विपक्ष ने अरुण साव के जवाब को दरकिनार करते हुए अरुण साव भ्रष्ट है के नारे लगाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.