नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायकों द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिका के बाद, जिसमें सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने के निर्देश मांगे गए थे, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने आनन-फानन में 497 दिनों के बाद रिपोर्ट्स को उपराज्यपाल को सौंप दिया है. विपक्ष का आरोप है कि अदालत में सुनवाई से ठीक एक दिन पहले सरकार द्वारा इन रिपोर्ट का प्रस्तुत करना यह स्पष्ट दर्शाता है कि वे जवाबदेही से बचने और वित्तीय गड़बड़ियों को जनता की नजरों से छिपाने का प्रयास कर रहे हैं.
विपक्ष ने विशेष सत्र तुरंत बुलाने की मांग की:इन घटनाओं को देखते हुए विपक्ष के नेता ने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र तुरंत बुलाने की मांग की है, जिसमें 14 सीएजी रिपोर्ट को न केवल प्रस्तुत किया जाए, बल्कि इन पर विस्तार से चर्चा हो. इसके अलावा, रिपोर्ट के निष्कर्षों की जांच के लिए विशेष समितियां बनाई जाएं और इस अभूतपूर्व देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
सीएजी रिपोर्ट जानबूझकर दबाए रखने का लगाया आरोप :विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि दिल्ली की जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उनके पैसे का उपयोग कैसे हुआ. सीएजी रिपोर्ट को दबाने का यह जानबूझकर किया गया प्रयास वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को छिपाने की साजिश है. उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने सीएजी की अहम रिपोर्ट को 497 दिनों तक जानबूझकर दबाए रखा और केवल दिल्ली उच्च न्यायालय के संभावित प्रतिकूल आदेशों के दबाव में इन्हें प्रस्तुत किया. इन रिपोर्ट्स को आखिरी क्षण में प्रस्तुत करना साफ दिखाता है कि सरकार जवाबदेही से बचने और वित्तीय गड़बड़ियों को छिपाने के प्रयास में लगी थी. बकौल गुप्ता यह है कि 497 दिनों से लंबित 14 सीएजी रिपोर्ट की सूची, जिन्हें आप सरकार की वित्त मंत्री/मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा उपराज्यपाल सचिवालय में प्रस्तुत किया गया है.