लातेहारः झारखंड की चतरा संसदीय क्षेत्र से आज तक कोई भी स्थानीय व्यक्ति सांसद नहीं बन पाया है. प्रत्येक लोकसभा चुनाव आने पर बाहरी और भीतरा का मुद्दा छाया रहता है. वोटर से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता तक स्थानीय-स्थानीय का रट लगाते फिरते हैं. लेकिन जब वोट देने की बारी आती है तो स्थानीयता का मुद्दा गौण हो जाता है और स्थिति ऐसी हो जाती है कि स्थानीय उम्मीदवारों की जीत तो दूर उन्हें जमानत बचाना भी मुश्किल हो जाता है.
चतरा संसदीय सीट से आज तक एक भी स्थानीय व्यक्ति सांसद का चुनाव जीतकर इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं कर सका है. अब तक जितने भी चुनाव हुए उनमें बाहरी उम्मीदवार ही यहां से जीत हासिल करने में सफलता पाई है. विजेता उम्मीदवार चाहे किसी दल के हों या फिर निर्दलीय, वह चतरा संसदीय क्षेत्र से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति ही रहे हैं.
हालांकि स्थानीय उम्मीदवार और स्थानीयता का मुद्दा प्रत्येक लोकसभा चुनाव में बड़े जोरशोर के साथ उभरता है. चौक-चौराहों से लेकर गांव की गलियों तक चुनाव के आरंभ होते ही स्थानीयता का मुद्दा चर्चा का विषय बन जाता है. जिससे भी पूछिए वह यही कहेगा कि इस बार किसी स्थानीय व्यक्ति को जीत दिलाना है. लेकिन मतदान का समय नजदीक आते-आते तक यह मुद्दा गौण हो जाता है. मतदान के बाद तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि स्थानीयता को मुद्दा बनाकर जो चुनाव मैदान में उतरते हैं, उनकी जमानत बचनी भी मुश्किल हो जाती है.
वर्ष 2019 में सिर्फ बाहरी लोग ही थे टक्कर में
लोकसभा चुनाव 2019 के आंकड़ों पर ध्यान दें तो इस चुनाव में चतरा संसदीय क्षेत्र से कुल 26 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन किया था. इनमें तीन उम्मीदवार बाहरी थे जबकि 23 उम्मीदवार स्थानीय थे. वर्ष 2019 में भी स्थानीयता का मुद्दा खूब गरम रहा. इसके बाद भी भाजपा, कांग्रेस, राजद ने किसी भी स्थानीय व्यक्ति को उम्मीदवार नहीं बनाया. तीनों दल के उम्मीदवार बाहरी थे, शेष 23 उम्मीदवार स्थानीय थे. जब चुनाव का परिणाम आया तो सिर्फ बाहरी लोगों को ही अच्छी खासी वोट मिली थी.
2019 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुनील कुमार सिंह को 5.50 लाख से अधिक वोट मिले थे और उनकी बंपर जीत हुई थी. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज यादव को लगभग डेढ़ लाख और राजद प्रत्याशी सुभाष यादव को लगभग 90 हजार वोट मिले थे. जबकि सभी 23 स्थानीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. किसी भी लोकल उम्मीदवार को 50 हजार भी वोट नहीं मिल पाए थे.
वर्ष 2014 और 2009 में भी थी यही स्थिति
वर्ष 2014 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी स्थिति स्थानीय उम्मीदवारों के लिए अनुकूल नहीं था. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 20 में से 17 उम्मीदवार स्थानीय थे. लेकिन पहले और दूसरे स्थान पर बाहरी उम्मीदवार ही रहे थे. हालांकि इस दौरान पहली बार स्थानीय उम्मीदवार नीलम देवी ने झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी और एक लाख से अधिक वोट लेने में सफल हुई थी. लेकिन भाजपा उम्मीदवार सुनील कुमार सिंह को यहां लगभग 3 लाख वोट मिले और उन्होंने आसानी से जीत हासिल की.