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19 साल पहले बंद की गई ओल्ड पेंशन स्कीम से क्यों बच रही सरकार? योगी सरकार के नक्शे कदम पर चलने का ये है मोहन यादव का प्लान - Old pension scheme Madhya Pradesh - OLD PENSION SCHEME MADHYA PRADESH

देश ही नहीं मध्य प्रदेश के ज्यादातर कर्मचारियों का मानना है कि ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम से कई मामलों में बेहतर है. 2005 में केंद्र सरकार द्वारा बंद की गई इस पेंशन योजना को वापस शुरू करने के लिए एमपी में भी कर्मचारी फ्रंट फुट पर आ रहे हैं. केंद्र सरकार ओपीएस को दोबारा लाने पर साफ इनकार कर चुकी है, ऐसे में मोहन यादव सरकार क्या करेगी?

MOHAN YADAV GOVT ON OLD PENSION SCHEME
19 साल पहले बंद की गई ओल्ड पेंशन स्कीम से क्यों बच रही सरकार? (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 7:43 PM IST

एमपी डेस्क.सबसे पहले समझना होगा कि ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम और एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम में क्या अंतर है. तो बता दें कि जैसा की नाम है, ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन स्कीम कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना थी जिसमें कर्मचारी को बिना अंशदान रिटायरमेंट पर अपने वेतन के 50 प्रतिशत बराबर पेंशन के रूप में दिए जाते थे. 2005 के बाद से इस पेंशन योजना का लाभ नए कर्मचारियों के लिए बंद कर दिया गया और फिर एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम अस्तित्व में आई.

एनपीएस से खुश नहीं हैं कर्मचारी

नेशनल पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट की राशि कर्मचारी के डिडक्शन पर निर्भर करती है. जनवरी 2024 तक कर्मचारी के मूल वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा एनपीएस डिडक्शन में आता था और उतनी राशि कर्मचारी के रिटायरफंड में जमा कर दी जाती थी. वहीं अब एनपीएस डिडक्शन बढ़ाकर 10 से 14 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके बावजूद केंद्र ही नहीं मध्यप्रदेश के कर्मचारी नाराज हैं, क्योंकि 14 प्रतिशत डिडक्शन होने के बाद भी रिटायरमेंट के दौरान उतनी राशि नहीं मिल पाती जितनी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत दी जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि एनपीएस की राशि शेयर मार्केट पर निर्भर रहती है, इससे पेंशन कितनी मिलेगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है.

एनपीएस से मिलने वाला फंड बेहद कम

नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेश अध्यक्ष परमानंद डेहरिया ने ओल्ड पेंशन स्कीम और नेशनल पेंशन स्कीम को लेकर कहा, 'सरकारी योजनाओं में हितग्राही को जितनी राशि मुफ्त में मध्य प्रदेश सरकार दे रही है, नेशनल पेंशन स्कीम में उतनी राशि भी पेंशन के तौर पर कर्मचारी को नहीं मिल पा रही.'' नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रदेश अध्यक्ष का ये बयान एमपी सरकार द्वारा फ्री में धनराशि बांटने वाली योजनाओं पर सीधा कटाक्ष भी है. परमानंद डेहरिया ने कहा कि एनपीएस से मिलने वाली राशि इतनी नहीं है कि लोग रिटायरमेंट के बाद ठीक से जीवन यापन कर सकें.

केंद्र सरकार ने भी पल्ला झाड़ा

मध्य प्रदेश के साथ-साख केंद्रीय कर्मचारियों के विभिन्न संगठन और अन्य राज्य भी ओपीएस को वापस लाने की लगातार मांग कर रहे हैं. पर केंद्र सरकार 19 साल पुरानी इस पेंशन योजना से बचती नजर आ रही है. इस मामले में वित्त सचिव टीवी सोमनाथन से साफ कहा, '' पुरानी पेंशन योजना को फिर लागू करना वित्तीय रूप से संभव नहीं है. अगर ऐसा किया जाता है तो प्राइवेट जॉब करने वाले लोगों को इससे नुकसान होगा.''

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तो क्या योगी की राह पर जाएंगे मोहन?

केंद्र सरकार द्वारा ओपीएस से पल्ला झाड़ लेने के बाद प्रदेश के कर्मचारियों को मोहन यादव सरकार से खासी उम्मीदें हैं. कर्मचारी संगठन अब बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश का उदाहरण पेश करते हुए ओपीएस लागू करने की मांग कर रहे हैं. नए बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम पर किसी तरह का फैसला न होने से कर्मचारी संगठन देश में बड़ा आंदोलन छेड़ने की तैयारी में भी हैं. कर्मचारी संघ ये मांग भी कर रहे हैं कि अगर बीजेपी शासित एक राज्य में ओपीसी लागू हो सकता है, तो एमपी में ये क्यों नहीं लागू हो सकता? मोहन यादव सरकार के लिए ओपीएस बड़ी चुनौती है. ऐसे में देखना ये होगा कि क्या एमपी की बीजेपी सरकार योगी आदित्यनाथ की राह पर चलेगी या केंद्र की तरह ही पल्ला झाड़े लेगी?

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