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यूपी में 5 साल में 40% बढ़ा नोटा; क्या राजनितिक दलों पर भारी पड़ सकता है प्रत्याशी रिजेक्ट करने का यह ट्रेंड? - Election 2024

UP Politics: लोकसभा चुनाव 2014 में देश में पहली बार नोटा को लागू किया गया था. इसके बाद से चुनाव में वोटिंग के ट्रेंड में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. क्या प्रत्याशी रिजेक्ट करने का यह ट्रेंड राजनितिक दलों पर भारी पड़ सकता है?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 15, 2024, 1:48 PM IST

Updated : Apr 15, 2024, 3:34 PM IST

वाराणसी: Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2014 में देश में पहली बार नोटा को लागू किया गया था. इसके बाद से चुनाव में वोटिंग के ट्रेंड में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. इसके तहत यदि मतदाता को चुनाव में खड़ा कोई भी प्रत्याशी योग्य नहीं समझ में आता है तो वह नोटा बटन दबाकर अपना मत दे सकता है. ऐसे में बात यदि बीते दो चुनाव में नोटा के ट्रेंड की कर लें तो, यूपी की सियासत में नोटा का बढ़ता हुआ दर दिखाई दिया है.

लोकसभा चुनाव आते ही सभी राजनीतिक दलों ने अपनी जीत के लिए प्रयास करने शुरू कर दिए हैं. ऐसे में तमाम विरोधों को बीच NOTA यानी 'नन ऑफ द एबव' का प्रयोग करने की बात भी निकलकर आ रही है. अब देखना होगा कि क्या इस बार प्रत्याशी रिजेक्ट करने का यह ट्रेंड राजनितिक दलों पर भारी पड़ सकता है?

NOTA

पिछले दो चुनावों में पड़े नोटा के वोटों को देखा जाए तो एक बड़ी संख्या में लोगों ने नोटा का प्रयोग किया है. साल 2014 में जहां साढ़े 5 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था तो वही 2019 के चुनाव में यह और आगे बढ़ा, लगभग साढ़े 7 लाख मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया. इस हिसाब से देखें तो पांच साल में नोटा 40% बढ़ गया है.

खास बात यह है कि यूपी में सबसे ज्यादा नोटा जहां रॉबर्ट्सगंज की सीट पर दबा तो वहीं सबसे कम जौनपुर, कैराना उसके बाद बनारस की सीट पर प्रयोग किया गया. उत्तर प्रदेश में साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो पूर्वांचल के जिलों में भी NOTA का जमकर प्रयोग किया गया.

वाराणसी के साथ ही साथ इसके आस-पास के जिलों में लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था. साल 2019 में वाराणसी में 4037, जौनपुर में 2441, भदोही में 9087, मिर्जापुर में 15353, गाजीपुर में 6871, आजमगढ़ में 7255, बलिया में 9615, गोरखपुर में 7688, अंबेडकरनगर में 11,344, लालगंज में 5060, देवरिया में 13421, घोषी में 5234 ने नोटा का प्रयोग किया था.

NOTA

रॉबर्ट्सगंज में 18,489 लोगों ने सबसे अधिक नोटा का प्रयोग किया था. इसके बाद साल 2019 में हुए चुनाव में रॉबर्ट्सगंज में 21,118 लोगों ने सबसे अधिक नोटा का प्रयोग किया था. वहीं जौनपुर में 2441 वोटर्स ने नोटा दबाया था.

नोटा की शुरुआत कब हुई:साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर एक आदेश जारी किया था. कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव में नोटा का प्रयोग शुरू हुआ है. ईवीएम में नोटा के लिए गुलाबी बटन होता है. लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा का दोनों ही चुनावों में NOTA यानी 'नन ऑफ द एबव' का बटन दबाने का विकल्प होता है.

दरअसल, भारत सरकार बनाम पीपल्स यूनियन फॉर सिबिल लिबर्टीज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि जनता को मतदान के लिए नोटा का भी विकल्प उपबल्ध कराया जाए. जनता अगर किसी भी प्रत्याशी को अपना वोट नहीं देना चाहती है तो NOTA का बटन दबा सकती है.

साल 2014 में EVM में मिला नोटा का विकल्प:साल 2014 में लोकसभा के चुनाव जब हुए तो उस समय उत्तर प्रदेश के लोगों ने भी खूब नोटा का प्रयोग किया था. इस समय प्रदेश में कुल वोटर्स की संख्या 13,86,72,171 थी. इनमें सर्विस वोटर्स की संख्या 1,38,386 थी.

इस चुनाव में कुल वोट देने वालों की संख्या की अगर बात करें तो 8,04,44,955 लोगों ने मतदान किया था. इनमें से वोट देने वालों में सर्विस वोटर्स की संख्या 55,834 थी. साल 2014 के आम चुनाव में कुल 5,92,331 लोगों ने NOTA का बटन दबाया था.

NOTA

यानी कि इतने लोगों को चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी पसंद नहीं आए थे. इस दौरान सबसे अधिक रॉबर्ट्सगंज में 18,489 लोगों ने सबसे अधिक नोटा का प्रयोग किया था.

साल 2019 में 7 लाख से अधिक NOTA पर वोट:साल 2019 में लोकसभा के चुनाव जब हुए तो उस समय उत्तर प्रदेश के सात लाख से अधिक लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था. इस समय प्रदेश में कुल वोटर्स की संख्या 14,58,58,553 थी. इनमें सर्विस वोटर्स की संख्या 2,76,050 थी.

इस चुनाव में कुल वोट देने वालों की संख्या की अगर बात करें तो 8,54,97,564 लोगों ने मतदान किया था. साल 2019 के आम चुनाव में कुल 7,25,097 लोगों ने NOTA का बटन दबाया था.

यानी कि इतने लोगों को चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी पसंद नहीं आए थे. इस दौरान सबसे अधिक रॉबर्ट्सगंज में 21,118 लोगों ने सबसे अधिक नोटा का प्रयोग किया था. वहीं जौनपुर में 2441 वोटर्स ने नोटा दबाया था.

भारत नोटा का प्रयोग करने वाला 14वां देश:नोटा का बटन एक तरीके से विरोध का प्रतीक माना जाने लगा. अगर मतदाता को किसी भी दल का नेता ठीक नहीं लगता है तो वह नोटा का बटन दबा सकता है. नोटा का बटन दबाकर लोग उन प्रत्याशियों का विरोध जताते हैं.

भारत चुनाव में नोटा का विकल्प देने वाला दुनिया का 14वां देश बन गया. नोटा के विकल्प को लेकर चुनाव आयोग ने नोटा के वोट तो गिने जाएंगे, लेकिन इसे रद वोट की गिनती में रखा जाएगा.

ऐसे में नोटा चुनाव नतीजों तो प्रभावित नहीं करता है. आपको बता दें कि भारत देश से पहले अमेरिका, स्वीडन, चिली, बेल्जियम, ग्रीस, कोलंबिया, यूक्रेन, रूस, बांग्लादेश, ब्राजील, फिनलैंड, स्पेन में नोटा चलता रहा है.

सीएम योगी के गृह जनपद में कितने वोट नोटा पर गए:साल 2019 में सहारनपुर में 4284, कैराना में 3542, मुजफ्फरनगर में 5110, गोरखपुर में 7688, बिजनौर में 4404, फर्रुखाबाद में 5610, कानपुर में 4057, अकबरपुर में 7994, जालौन में 12514, झांसी में 18238, हमीरपुर में 15155, बांदा में 19250, नगीना में 6528, मुरादाबाद में 5757, रामपुर में 6577, संभल में 7230, अमरोहा में 6617, मेरठ में 6216, बागपत में 5041, गाजियाबाद में 7495, बुलंदशहर में 6258, हाथरस में 5800, मथुरा में 5817, आगरा में 10692, फतेहपुर सीकरी में 6676, फिरोजाबाद में 6711, मैनपुरी में 6277, एटा में 8609, बदायूं में 9190, आंवला में 3824, बरेली में 9973 नोटा पड़े थे.

सबसे कम जौनपुर में दबा नोटा बटन:इसके साथ ही, फतेहपुर में 14692, कौशांबी में 14765, फूलपुर में 7882, इलाहाबाद में 7625, बाराबंकी में 8785, फैजाबाद में 9388, अंबेडकरनगर में 11344, बहराइच में 13189, कैरसगंज में 13168, श्रावस्ती में 17108, गोंडा में 18418, डुमरियागंज में 11757, बस्ती में 10335, संतकबीरनगगर में 12631, महाराजगंज में 10478, कुशीनगर में 18297, देवरिया में 13421, बांसगांव में 14093, लालगंज में 5060, आजमगढ़ में 7255, घोषी में 5234, सलेमपुर में 7809, बलिया में 9615, जौनपुर में 2441, मछलीशहर में 10830, गाजीपुर में 6871, चंदौली में 11218, वाराणसी में 4037, भदोही में 9087 नोटा पड़े थे.

रॉबर्ट्सगंज में सबसे अधिक पड़े नोटा:मिर्जापुर में 15353, रॉबर्ट्सगंज में 21118, पीलीभील में 9037, शाहजहांपुर में 8750, खीरी में 10798, धौरहरा में 8873, सीतापुर में 11024, हरदोई में 10181, मिसरिख में 11190, उन्नाव में 10795, मोहनलालगंज में 7416, लखनऊ में 10252, रायबरेली में 3940, अमेठी में 9771, सुलतानपुर में 12159, प्रतापगढ़ में 7437 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया था.

लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों ही चुनाव में नोटा का विकल्प मौजूद रहता है. लोकसभा चुनाव की शुरुआत 19 अप्रैल से होने जा रही है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल इससे बचने और अधिक वोट हासिल करने के प्रयास में जुट गए हैं.

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Last Updated : Apr 15, 2024, 3:34 PM IST

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