अयोध्या:अपने देश में छावनियां किसलिए जानी जाती हैं? सेना की छावनी और पुलिस की छावनी. है न! लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, देश के अंदर बनी ऐसी छावनियां, जिनमें देश के साधु-संत निवास करते हैं. जी हां! छावनियों में साधु-संत भी निवास करते हैं. ये सारी छावनियां अयोध्या में हैं. बड़ी छावनी, छोटी छावनी और तपसी की छावनी. इसके पीछे की भी एक पौराणिक कहानी है. इन छावनियों में सबसे पुरानी तपसी जी की छावनी बताई जाती है. यहीं पर सरयू नदी बहा करती थी और यहीं पर भगवान राम स्नान के लिए आया करते थें. यहां पर तुलसी बाड़ी भी है. जहां राजा दशरथ तुलसी पूजन किया करते थें.
अयोध्या में यूं तो आपको कई पौराणिक कहानियां मिल जाएंगी. कई ऐसे स्थल हैं, जो भगवान राम से जुड़े हुए हैं. राजा दशरथ से जुड़े हुए हैं. यहीं पर सुग्रीव किला भी है और कनक भवन भी है. छोटी देवकाली हैं, तो बड़ी देवकाली भी हैं. इन सभी के साथ ही अयोध्या में जो सबसे अलग महत्व रखती हैं, वो हैं यहां की छावनियां. इन छावनियों को लेकर भी कई कहानियां और कथाएं प्रचलित हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने तुलसी चौरा, तपसी की छावनी के संतों से बातचीत की. उन्होंने अपने अलग-अलग मत बताए हैं, कि आखिर इन छावनियों का निर्माण क्यों और कब से हुआ है.
भगवान राम के दर्शन के लिए आते थे सन्यासी:तपसी की छावनी के महंत परमहंस दास इस बारे में कहते हैं, 'अपने देश में छावनियों का निर्माण पुलिस और सेना के लिए किया गया है. जहां से वे देश की रक्षा करते हैं. साधु-संतों की छावनियों के बनने का पहला और बड़ा कारण ये है, कि तपसी की छावनी में भगवान राम स्नान करने के लिए आया करते थे. जब वे यहां आते थे, तो उनके दर्शन के लिए समस्त देव और तीनों लोकों के स्वामी यहां चले आया करते थे. इसके साथ ही पृथ्वी पर मौजूद साधु-संत भी उनको देखने के लिए यहां पर इकट्ठा रहते थे. ऐसे में यहां हजारों की संख्या में साधु-संत रहने लगे. तब से यह स्थान छावनी बन गई.' वे बताते हैं, कि यहीं पर तुलसी बाड़ी भी मौजूद है, जहां पर राजा दशरथ तुलसी पूजन करने आते थे.
आध्यात्मिक लड़ाई के लिए संतों की छावनियां:तुलसी चौरा के संत एवं कथावाचक बताते हैं, कि देश में मनुष्यों के हमले के खतरे से बचाने के लिए सेना और पुलिस की छावनियां हैं. लेकिन, हमारे मन और मस्तिष्क को आंतरिक बाधाओं से बचाने के लिए आध्यात्म की आवश्यकता होती है. ऐसे में आधात्यम की रक्षा के लिए साधु-संतों का भी होना उतना ही जरूरी है, जितना की बाहरी सुरक्षा के लिए सेना का होना जरूरी है. इन छावनियों में रहने वाले साधु-संत यहां रहकर समाज की कुरीतियों से लड़ने का काम करते हैं. हमारे मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह का अंत करने के लिए प्रेरित करते हैं. इन छावनियों के होने से हमारे आध्यात्म की रक्षा होती है. यानी कि अयोध्या में बसी छावनियों में रहने वाले महंत एवं आचार्य यहां सनातन संस्कृति को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं.