अलवर :सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन ये सभी बाघ एक ही ब्रीड रणथंभौर के टाइगर की संतान हैं. इससे बाघों की नस्ल में सुधार नहीं हो पा रहा है. सरिस्का में बाघों की ब्रीड में बदलाव की जरूरत होने के बाद भी यहां अन्य प्रदेशों के टाइगर रिजर्व से बाघों के पुनर्वास के पर्याप्त प्रयास नहीं हो पा रहे हैं. पूर्व में यहां मध्य प्रदेश और अन्य प्रदेशों के टाइगर रिजर्व से टाइगर लाने की चर्चा तो हुई, लेकिन यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई. इससे सरिस्का में बाघों की ब्रीड में बदलाव की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी है.
सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 43 तक पहुंच गई है. वहीं, सरिस्का के एक बाघ को पिछले दिनों रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया. सरिस्का में अभी 42 बाघ हैं, लेकिन समस्या है कि ये सभी बाघ व शावक रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघ-बाघिन के ब्रीड के हैं.
पढ़ें.दो दशक पहले सरिस्का पर लगा 'बाघ विहीन' होने का कलंक, अब दूसरे टाइगर रिजर्व को करेगा आबाद
इनब्रीडिंग से बढ़ रही अनुवांशिक बीमारी :सरिस्का के बाघों में इनब्रीडिंग की समस्या के चलते बाघों में अनुवांशिक बीमारी व बाघिनों में बांझपन की आशंका बढ़ रही है. इस कारण सरिस्का में कई बाघिन मां नहीं बन सकी. सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह का कहना है कि सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए बाहर से बाघ लाने का प्रस्ताव स्थानीय एवं उच्च स्तर पर लंबित नहीं है, लेकिन सरिस्का प्रशासन का प्रयास है कि सरिस्का में बाघों की संख्या बढ़े और उनकी अच्छे से देखभाल कर पाएं. इसके लिए लगातार प्रयास जारी हैं.
कोरिडोर नहीं होने से बढ़ी समस्या :सरिस्का के जंगल से हाेते हुए रणथंभौर टाइगर रिजर्व तक पहले कोरिडोर होता था. इसमें बाघ आ-जा सकते थे. इससे बाघों के बीच इनब्रीडिंग की समस्या कम होती थी, लेकिन अब जगह जगह पर अतिक्रमण के चलते सरिस्का और रणथंभौर के पार्क अलग हो गए. इससे बाघ अपने ही टाइगर रिजर्व क्षेत्र में सिमट कर रह गए.