मेरठ: यूपी के मेरठ में स्थित लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में अब नए साल यानी एक जनवरी 2025 से ऐसे बच्चों का उपचार संभव होगा जो कि ह्रदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं. इनमें नवजात बच्चों की बीमारी को पहचान कर समय पर उनका उपचार हो सकेगा. आवश्यकता पड़ेगी तो दिल की बीमारी से संबंधित समस्याओं का पता लगाकर अलग-अलग विधि से उपचार किया जाएगा. मेडिकल कॉलेज में विशेषकर बच्चों की फीटल इकोकार्डियोग्राफी इलाज की सुविधा मिलने जा रही है. इसके शुरू होने से नवजात शिशुओं में जन्मजात होने वाली दिल की बीमारियों का इलाज भी अब संभव हो जाएगा.
अब तक निजी हॉस्पिटल्स में यह इलाज संभव था या फिर बच्चों में हार्ट संबंधित परेशानियों का पता लगाने से लेकर उपचार तक के लिए दिल्ली गाजियाबाद या नोएडा का रुख करना पड़ता था. अब मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग को अपग्रेड किया जा चुका है. यहां दिल की बीमारी से जूझने वाले बच्चों की शुरुआत के बाद जान बचाई जा सकेगी.
मेरठ मेडिकल कॉलेज में नवजातों के दिल का होगा पूरा इलाज (Video Credit; ETV Bharat)
इस बारे में डॉक्टरों ने बताया कि जन्म के साथ से कई तरह की समस्याओं से कई बच्चे जूझते हैं. कई बार तो माता पिता को बच्चे की बीमारी का पता तक नहीं चलता, जिस वजह से कई बार बच्चों की जान तक भी चली जाती है.
वहीं, लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज की पीडियाट्रिक विभाग की विशेषज्ञ डॉक्टर मुनेश तोमर बताती हैं कि अब मेडिकल में बच्चों की फीटल ईको कार्डियोग्राफी इलाज की सुविधा मिलने जा रही है. इसके शुरू होने से नवजात शिशुओं में जन्मजात होने वाली दिल की बीमारियों का इलाज संभव हो जाएगा.
उन्होंने बताया कि विशेष रूप से सप्ताह में दो दिन पीडियाट्रिक विभाग में बच्चों के दिल की जांच के लिए ओपीडी होगी. सप्ताह में मंगलवार व गुरुवार को ओपीडी की शुरुआत नए साल से होने जा रही है.
डॉक्टर मुनेश तोमर पूर्व में मेदांता में अपनी सेवाएं दे रही थीं, जिन्हें लंबा अनुभव है. बताती हैं कि पीडियाट्रिक विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो 100 नवजात शिशुओं में एक प्रतिशत बच्चे दिल की घातक बीमारी से ग्रसित होते हैं. वहीं ऐसे बीमार बच्चों में 30 फीसदी बच्चे वह होते हैं, जिनको तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है. अगर समय रहते उपचार में देरी हो जाए तो, उन्हें बचाना मुश्किल होता है.
उन्होंने बताया कि नवजात बच्चे में कुछ लक्षण देखकर दिल की गंभीर बीमारी का पता लगाया जा सकता है. वह कहती हैं कि यदि पैदा होने के बाद बच्चा दूध नहीं पीता तो यहां कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होगा. जिनमें यह भी जानना होगा कि क्या बच्चे को दूध पीने में पसीना तो नहीं छूट रहा, अगर ऐसा है तो यहां माता पिता को समझ लेना चाहिए कि बच्चे को ह्रदय संबंधित समस्या भी हो सकती है. वहीं अगर बच्चे की सांसे तेजी से चलती है, बार-बार निमोनिया की शिकायत अगर हो रही है और बच्चे की उचित ग्रोथ अगर नहीं हो तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाना चाहिए. समय पर बीमारी का पता चलने पर उसका इलाज किया जा सकेगा.
उन्होंने बताया कि लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में बच्चों के तमाम टेस्ट की सुविधाएं अब न्यूनतम चार्ज पर मिलेंगी. सिर्फ एक रुपये के पर्चे पर ग्रसित बच्चों के माता पिता यहां अपने बच्चे को लेकर आकर उचित परामर्श ले सकते हैं. अगर किसी गर्भवती महिला को उसके परिजनों को लगता है कि गर्भ में रहते यह पता लग सके कि कहीं बच्चे को कोई बिमारी तो नहीं है तो वह जरूरी टेस्ट यहां करा सकते हैं. यह टेस्ट यहां लगभग सौ रुपये में होगी.
उन्होंने कहा कि अब छोटे बच्चों की एंजियोग्राफी से लेकर गर्भवती मां की फीटल ईको कार्डियोग्राफी भी यहां कर सकेंगे. साथ ही अलग-अलग विधि से आवश्यकता पड़ने पर दिल के छेद को दुरुस्त कर सकते हैं.
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