वाराणसी: नए साल का आगमन होने जा रहा है. 2024 को विदा करके 2025 के आगमन और स्वागत की तैयारी में हर कोई जुटा हुआ है. हर कोई यही चाहता है कि आने वाला नया साल उनके जीवन में खुशियों की बाहर लेकर आए, अच्छा साल बीते और सब कुछ अच्छा रहे, लेकिन महत्वपूर्ण होता है पूरे साल में खास क्या होगा? क्योंकि नए साल के आगमन के साथ ही बहुत से सवाल भी लोगों के मन में होते हैं.
खास तौर पर ग्रहण कितने पड़ेंगे? मौसम कैसा होगा? राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से क्या हालात बनेंगे? इन सभी सवालों का जवाब और नए साल पर होने वाले तमाम बदलावों और उठापटक पर ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी ने विस्तार से जानकारी दी.
ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने नए साल में होने वाले बदलावों के बारे में बताया. (Video Credit; ETV Bharat) महाकुंभ 2025 का आयोजन: ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि खगोलीय दृष्टि से सौरमंडल में भारी उथल-पुथल 2025 में देखने को मिलेगा. वर्ष के पूर्वाध में देखा जाए तो प्रयाग में महाकुंभ होगा. ज्योतिष के अनुसार देवगुरु बृहस्पति का जब संरक्षण वृषभ राशि पर होता है और सूर्य देव का संरक्षण जब मकर राशि पर होता है तो प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है. यह संयोग 29 जनवरी 2025 को बन रहा है.
एक माह में दो ग्रहण:ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष में दो ग्रहण होने वाले हैं. पहला ग्रहण 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण के रूप में देखने को मिलेगा, जो खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा. यह संपूर्ण भारत में देखने को मिलेगा. भारत के अलावा यह ग्रहण अंटार्कटिका, यूरोप, एशिया व अन्य जगहों पर भी देखने को मिलेगा.
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इसके बाद दूसरा ग्रहण इसी महीने की 21 तारीख सूर्य ग्रहण पड़ेगा, लेकिन वह भारत में दिखाई नहीं देगा. इसलिए देखने की बात यह है कि एक ही महीने में दो ग्रहण पड़ रहे हैं. ग्रहण में एक बात यह भी है कि 2024 में भारत में कोई ग्रहण दृश्य नहीं हुआ था. 2023 में लास्ट ग्रहण एकदम अंत में भारत में दृश्य हुआ था.
मई भारी उलेटफेर वाला:ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष गोचर में ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जो प्रमुख फल देने वाले ग्रह हैं शनि देव गुरु बृहस्पति राहु और केतु इन चारों ग्रहण का राशि परिवर्तन होने जा रहा है, वह भी एक पखवारे के अंदर, जिसमें 9 मई को देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. वहीं 5 मई को शनि देव कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे.
15 मई को राहु मीन राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और केतु कन्या राशि से सिंह राशि में प्रवेश करेंगे. यह एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, क्योंकि इसमें प्रमुख बात यह है देवगुरु बृहस्पति 2025 के पूर्वार्ध में वृष राशि पर रहेंगे फिर मिथुन राशि पर रहेंगे मिथुन राशि पर यह अतिचारी हो जाएंगे.
बृहस्पति और शनि का साथ देगा विनाशकारी बदलाव: ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि गुरु की गति बहुत तेज होने से इसका प्रभाव मिला-जुला होगा, चूंकि बृहस्पति एक राशि पर 12 महीने रुकता है, लेकिन 4 महीने बाद ही यह मिथुन राशि से कर्क राशि पर पहुंच जाएगा. बृहस्पति का अतिचार होना वक्री होना या शनि का वक्री होना यह धरती के लिए ब्रह्मांड के लिए विश्व पटेल पर बहुत अच्छा नहीं माना जाता.
इसका प्रभाव शुभ और अशुभ दोनों रूप में हो सकता है. देवगुरु बृहस्पति का अतिचार होना उत्तम नहीं है, क्योंकि बृहस्पति जीवन को देने वाला है, क्योंकि जब बृहस्पति इस स्थिति में होता है तो इसका व्यापक असर पूरे विश्व पर देखने को मिलेगा, क्योंकि मिथुन से कर्क पर अतिचार होकर पहुंचेगा.
नए साल में आएंगी प्राकृतिक आपदाएं: पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि बृहस्पति धर्म का कारक और जीवन देने वाला है. इसके पहले भी यह स्पष्ट था 2019 में जिस तरह से ग्रहों का सौरमंडल में उलट फिर हुआ था. उसकी वजह से महामारी कोरोना का जन्म हुआ था. इस बार फिर से कुछ ऐसी ही स्थिति बन रही है. मई में होने वाले ग्रहों के उथल-पुथल की वजह से इस धरती पर इस बार फिर से बड़ी मात्रा में जान माल का नुकसान होगा.
नई महामारी भी आ सकती है, भूकंप और अन्य तरह की प्राकृतिक आपदाओं का भी असर देखने को मिलेगा जिसमें ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों की जान जाएगी, क्योंकि शनि इस वक्त मध्य एशिया में स्थित है. जिसमें इराक ईरान जो तेलिया पदार्थ वाले देश हैं. वहां शनि का प्रभाव है शनि वर्की और मार्गी हो रहा है. इसलिए वहां पर बड़ी प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति देखने को मिलेगी जिससे मानव त्रासदी भी देखी जाएगी.
देर तक पड़ेगी ठंड:मौसम की अगर बात की जाए तो इस बार 2025 में मौसम की दृष्टि से बहुत अच्छा नहीं है, क्योंकि सूर्य और चंद्रमा इसके कारक ग्रह माने जाते हैं और बृहस्पति और शनि का प्रभाव बहुत मायने रखता है. ऐसी स्थिति में जो 2025 में मौसम उतार चढ़ाव वाला रहेगा. इस बार ठंड बहुत देर तक पड़ेगी. लगभग फरवरी से मार्च मिडिल तक ठंड देखने को मिलेगी. शनि के प्रकोप की वजह से ही ठंड देरी से पड़ी है और देरी तक रहेगी. गर्मी भी ज्यादा पड़ेगी और बारिश भी अच्छी होगी.
सत्ता में होगा उलट फेर:राजनीतिक दृष्टि से यदि देखा जाए तो यह वर्ष बहुत उत्तर-पुथल वाला रहने वाला है, क्योंकि शनि को हम जनतंत्र का कारक ग्रह मानते हैं. शनि का राशि परिवर्तन जब मई के महीने में होगा तो उसे वक्त नौकरशाह और जनतंत्र में भारी फेर बदल होगा. सत्ता में बैठे लोगों को भी इसका असर पड़ेगा. हलचल हर जगह दिखाई देगी. कहीं सरकार जाएगी तो कहीं सरकार बनेगी. शनि के प्रकोप की वजह से सरकारें अस्थिर होगी. उस वक्त जनता के कुर्सी का ग्रह राहु भी परिवर्तन कर रहा है. शनि और राहु के परिवर्तन में राजनीतिज्ञ के लिए यह समय मिला-जुला होगा.
धार्मिक विवादों में आएंगे बड़े फैसले:शनि और गुरु की युति की वजह से भारत वर्ष में काफी फेरबदल दिखाई देगा, क्योंकि बृहस्पति के अपनी गति से तेज चलने की वजह से और 1 वर्ष में तीन राशियों पर संरक्षण करने की वजह से धार्मिक दृष्टि और धार्मिक प्रचार प्रचार में काफी बढ़ोतरी होगी. धार्मिक स्थलों का कायाकल्प तेजी से होगा भारतवर्ष के लिए वर्ष बहुत ही उत्तम होगा.
धार्मिक स्थान का उत्थान होगा. धार्मिक क्षेत्र के विवादों में भी कई जगहों पर बड़े फैसले आ सकते हैं. इसके अलावा गुरु बृहस्पति की स्थिति अच्छी होने से भारतवर्ष की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा. इस समय में जो भी नौकरशाह हैं और सरकार में की स्थिति नजर आएगी. सरकार इस वक्त कई बड़े निर्णय लेगी लेकिन राहु के परिवर्तन की वजह से सरकार के लिए यह आसान नहीं होगा.
विरोध का सामना करना पड़ेगा लेकिन अंत में भारत के हित में कई बड़े निर्णय होंगे और उनको लागू भी किया जाएगा. देश में आयात और निर्यात की स्थिति में सुधार होगा. इस वर्ष लोहे की सामग्रियों में वृद्धि होगी. इनकी बिक्री भी अच्छी होगी और लोग इस्तेमाल भी खूब करेंगे. इनके रेट में भी उछाल होगा. सोने और चांदी के रेट में भी बढ़ोतरी बृहस्पति के राशि परिवर्तन से होगा.
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