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दोस्त धोखा न देते तो क्या गोली लगने के बाद बच सकती थी चेतराम की जान! जानिए क्या है मामला - SERAJ FIRING INCIDENT

सराज के गढ़नाला में गोली लगने से युवक की मौत के मामले में कई खुलासे हुए हैं. पढ़ें पूरी खबर

टांग में गोली लगने के दौरान हुई  थी चेतराम की मौत
टांग में गोली लगने के दौरान हुई थी चेतराम की मौत (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 3, 2025, 1:09 PM IST

सराज: जिला मंडी में सराज के गढ़नाला में 31 दिसंबर को गोली लगने से युवक की मौत हो गई थी. युवक अपने दोस्तों के साथ रात को शिकार खेलने के लिए गया था, लेकिन गलती से गोली का शिकार हो गया था. इस मामले में जांच में कई खुलासे हुए हैं. जांच में सामने आया है कि उस रात कुल छह लोग शिकार खेलने के लिए गए थे.

युवक जब शिकार से वापस घर की ओर आ रहे थे तो पीछे चल रहे युवक हेमराज का पांव फिसला गया और आगे चल रहे चेतराम के घुटने की पिछली तरफ गोली लगी. गोली चलने की आवाज के बाद करहाने की आवाज सुनकर तीन युवक कृष्ण, नंद लाल और इंद्र सिंह मौके से फरार हो गए. घायल चेतराम को हेमराज और यशवंत ने पौने घंटे के बाद गढ़नाल जंगल से ऊपर गांव तक लेकर आए थे. इसके बाद चेतराम को अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया गया था, लेकिन इस दौरान जख्म से लगातार खून बहता रहा और ज्यादा रक्तस्त्राव के कारण चेतराम की रास्ते में ही मौत हो गई थी. अगर सभी लोग चेतराम को जंगल से बाहर निकालने का प्रयास करते तो शायद उसकी जान बच सकती थी.

जांच में लीपापोती के आरोप

वहीं, लोगों का आरोप है कि गढ़नाला जंगल में हुए इस गोलीकांड की जांच में लीपापोती भी शुरू हो गई है. उस दिन जंगल में शिकार करने के लिए गए मृतक चेतराम सहित कुल छह लोग गए थे. सबके पास अपनी-अपनी बंदूकें थीं. हादसे में इस्तेमाल बंदूक बिना लाइसेंस की थी, जबकि अन्य बंदूकें छिपा दी गई हैं और न ही पुलिस ने इस संबंध में कोई पूछताछ की है.
पुलिस अगर कड़ाई से पूछताछ करे तो दूसरी बंदूकें भी बरामद की जा सकती हैं.

जंगली जानवरों का शिकार पूर्णतया अवैध

बता दें कि सर्दियां आते ही सराज के जंगलों में पशु पक्षियों का अवैध शिकार शुरू हो गया है. सराज का एक बड़ा भू-भाग वन्य क्षेत्र से ढका हुआ है. पंडोह से लेकर खौली तक के क्षेत्र में कई वन्य प्राणी जंगल में हैं. ठंड शुरू होते ही कई शिकारी भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं. शिकारी सबसे ज्यादा निशाना जंगली मुर्गे और कुलस को बनाते हैं. बंदूक के अलावा जाल या फंदे में फंसाकर भी इन निरीह प्राणियों का शिकार होता है. इस क्षेत्र में अब जंगली मुर्गे और कुलस का मांस भी चोरी-छिपे बेचा जाने लगा है. ये प्रजाति भी अब अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. डीएफओ नाचन सुरेन्द्र कश्यप ने बताया कि, 'जंगलों में अवैध शिकार और अवैध कटान पर नजर रखने के आदेश सभी रेंज ऑफिसर और वन रक्षकों को पहले ही दिए जा चुके हैं.'

एसडीएम गोहर लक्ष्मण कनेट ने बताया कि, 'जंगली जानवरों का शिकार करना गैर कानूनी है. अवैध तरीके से बंदूक रखना भी जुर्म है. अवैध हथियार रखने और बनाने वाले दोनों दोषी हैं. जंगलों में हिरण (कक्कड़), जंगली सुअर, घोरड़, सांबर, जंगली मुर्गा, खरगोश, तीतर और चकोर का शिकार निषेध है. किसी वन्य प्राणी को गोला-बारूद, आग्नेय शस्त्र, जाल या फंदे से मारने पर तीन वर्ष की कैद या 25 हजार रुपये तक जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं. वन्य प्राणी अपराध गैर जमानती है. बिना लाइसेंस के अवैध बंदूक रखने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसमें पंचायत प्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा.'

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