सिरोही/नई दिल्ली :राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने मंगलवार को शून्यकाल के दौरान सदन में लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने वन्यजीव संरक्षण को पर्यावरण संतुलन और मानव कल्याण के लिए अनिवार्य बताते हुए सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की. डांगी ने केंद्र सरकार से मांग की कि देश के सभी वन्यजीव अभ्यारण्यों और संरक्षित वनों में एआई आधारित मॉनिटरिंग प्रणाली को लागू किया जाए और एम्स जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत किया जाए.
लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती :डांगी ने कहा कि देश के सामने टाइगर, लेपर्ड और चीता जैसी बड़ी बिल्लियों की श्रेणी में आने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने की गंभीर चुनौती है. उन्होंने सुझाव दिया कि इन वन्यजीवों की निगरानी और संरक्षण के लिए AI तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. AI आधारित सिस्टम से उनकी गतिविधियों और स्थान की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने कहा कि ये तकनीक न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि पारंपरिक तरीकों की तुलना में कम कार्यबल की आवश्यकता होती है.
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डांगी ने यह भी कहा कि जैव विविधता का संरक्षण पर्यावरण को सुरक्षित रखने, प्रजातियों के विलुप्त होने को रोकने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद करता है. उन्होंने कहा, "हमें इंसानों और वन्यजीवों दोनों की रक्षा करनी होगी. जब वन्यजीव गांवों में प्रवेश कर इंसानों या उनके मवेशियों को नुकसान पहुंचाते हैं, तो इससे लोगों में वन्यजीवों के प्रति घृणा पैदा होती है. एआई जैसी तकनीक से इस समस्या का समाधान संभव है."