बिहार

bihar

ETV Bharat / state

आज स्कंदमाता की पूजा, माता को प्रसन्न करना है तो इस मिठाई का भोग लगाएं - Navratri 2024 - NAVRATRI 2024

नवरात्रि के चौथे दिन स्कंदमाता की पूजा में भक्त को विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दिन साधक को केले के हलवा का भोग लगाना चाहिए.

कोलकाता के कालीघाट स्थित स्कंदमाता
कोलकाता के कालीघाट स्थित स्कंदमाता (File Image)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 7, 2024, 7:09 AM IST

पटनाःआज नवरात्रि का पांचवां दिन है. इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इस दिन साधक को पूजा को लेकर विशेष ध्यान देना चाहिए और एकाग्रचित होकर पूजा करना चाहिए. स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद की मां. स्कंद भगवान कार्तिकेय को कहा जाता है. देवासुर संग्राम में कार्तिकेय देवाताओं के सेनापति बने थे.

स्कंदमाता का स्वरूपः नवरात्र के पांचवें दिन पूजा के दौरान मां का ध्यान करना चाहिए. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. दाहिणी और बाईं ओर से नीचे वाली भुजा ऊपर की ओर उठी है और दोनों में कमल है. बाईं ओर से ऊपर वाले भुजा में वरमुद्रा. एक हाथ से मां आशर्वाद प्रदान कर रही हैं. मां कमल के आसान पर विराजमान हैं. इनकी गोद में भगवान कार्तिकेय बैठे हैं और सवारी सिंह है.

स्कंदमाता का श्लोक

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।

अर्थात: "सिंह पर सवार और अपने दोनों हाथों में कमल पुष्प धारण करने वाली यशस्विनी स्कंदमाता आपको प्रणाण है. आप हमारे लिए शुभदायी हो."

इस मंत्र का जप करेंःस्कंदमाता की पूजा के दौरान मंत्र को कंठस्थ कर नवरात्रि में पांचवें दिन इसका जाप करना चाहिए. इससे माता प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करती है. स्कंदमाता का श्लोक इस प्रकार है-

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थात : हे मां, संसार में विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे आपको बारम्बार प्रणाम है. हे मां मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें.

माता को भोग क्या लगाएंः मान्यता के अनुसार स्कंदमाता को केले का हलवा अति प्रिय है. इस दिन भक्त को इसी का भोग लगाना चाहिए. इसे बनाने का तरीका काफी आसान है. पके हुए केले को काटकर घी में सुनहरा होने तक भूने. इसके बाद चीनी डालकर मिलाएं. इसमें दूध भी डाल सकते हैं. केला पूरी तरह गल जाने पर इसमें इलाइची, केसर और ड्राई फ्रूट्स डालें.

मां की आरती:

जय तेरी हो स्कंद माता।

पांचवां नाम तुम्हारा आता॥

सबके मन की जानन हारी।

जग जननी सबकी महतारी॥

तेरी जोत जलाता रहू मैं।

हरदम तुझे ध्याता रहू मैं॥

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा॥

कही पहाड़ों पर है डेरा।

कई शहरों में तेरा बसेरा॥

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तू ही खंडा हाथ उठाए॥

दासों को सदा बचाने आयी।

भक्त की आस पुजाने आयी॥

पूजा का महत्वःपांचवें दिन की पूजा को पुष्कल महत्व बताया गया है. इस दिन साधक की समस्त बाह्य क्रियाओं एवं चित्तवृतियों का लोप हो जाता है. साधक विशुद्ध चैतन्य स्वरूप की ओर अग्रसर होता है. इस दिन भक्त माया बंधनों से मुक्त होकर स्कंदमाता की आराधना में लीन होता है. इस दिन साधक को विशेष ध्यान रखना चाहिए.

पूजा का फलःमां स्कंदमाता की पूजा करने से इच्छाओं की पूर्ती होती है. मृत्युलोक में ही उसे परम सुख और शांति मिलती है. भक्त के लिए मोक्ष के द्वार आसान हो जाते हैं. इनकी पूजा से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं. 3

यह भी पढ़ेंः

ABOUT THE AUTHOR

...view details