गोरखपुर: देश में 18 नवंबर को राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (National Naturopathy Day) मनाया जा जाता है. इस विधि से गंभीर बीमारियों का इलाज बिना दवा के ही ठीक किया जाता है. चिकित्सा क्षेत्र में दुनिया में मिसाल कायम करने वाला यह पहला चिकित्सा केंद्र है. जिसका नाम "आरोग्य मंदिर" है. जहां दवा से नहीं, हवा-पानी और मिट्टी से इलाज होता है. जिससे गंभीर बीमारियों का इलाज, जड़ से खत्म होता है. आइए जानते हैं प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में.
राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस: 'आरोग्य मंदिर' जहां, हवा-पानी और मिट्टी है मर्ज की दवा - NATIONAL NATUROPATHY DAY 2024
National Naturopathy Day: धूप, मिट्टी, पानी और हवा ही इस अस्पताल की दवा है. यहां जड़ से खत्म होता है रोग.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Nov 18, 2024, 1:43 PM IST
अगर आप गंभीर बीमारी से परेशान हैं और दवाओं से राहत नहीं मिल रही है, तो आप प्राकृतिक चिकित्सा अपना सकते हैं. शहर के आरोग्य मंदिर में दवाओं से नहीं मरीजों का इलाज हवा, पानी, मिट्टी और धूप से होता है. यहां देश-विदेश से लोग इलाज कराने आते हैं. प्राकृतिक विधि से यहां असाध्य रोगों का इलाज होता है. राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर इस मंदिर परिसर में मिट्टी लेपन से बड़ी संख्या में लोगों को रोगों से (Treatment of diseases by applying mud) निदान के प्रति प्रेरित किया जाता है. जिसमें, सैकड़ो की संख्या में लोग शामिल होते हैं.
शरीर में ही रोगों को समाप्त करने की शक्ति:आरोग्य मंदिर के निदेशक डॉ. विमल मोदी का कहना है, कि आमतौर पर लोग जानते हैं कि रोग मुक्ति का उपाय दवाएं हैं. जबकि शरीर में ही रोगों को समाप्त करने की शक्ति होती है. जिन तत्वों से हमारा शरीर बना है, अर्थात- पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और हवा, उन्हीं के माध्यम से आरोग्य मंदिर में रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उन्हें विकार मुक्त किया जा रहा है. संस्थान के चिकित्सक डॉ. राहुल मोदी कहते हैं, कि वर्ष 1945 में 18 नवंबर को महात्मा गांधी ने प्राकृतिक चिकित्सा की पहल की थी और एक ट्रस्ट बनाया था, जिसको ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने वर्ष 2018 में इस तिथि को राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. इसके बाद उनके चिकित्सा संस्थान में इस दिवस को बड़े ही बृहद रूप में मनाया जाता है. जिससे लोग इससे जुड़े और जीवन को निरोग बनाया. अगर आप गंभीर बीमारी से परेशान हैं और दवाओं से राहत नहीं मिल रहा है तो आप प्राकृतिक चिकित्सा अपना सकते हैं.
विदेश से भी इलाज कराने आते हैं मरीज:डॉ. विमल मोदी ने बताया, कि आरोग्य मंदिर 50 वर्ष से न सिर्फ पूर्वांचल, बल्कि बनारस, श्रीलंका, चीन, बंगाल समेत दूर-दूर से आये विभिन्न प्रकार के रोगों के मरीज को अपनी प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक करता है. ऐसे में इस दिवस पर ऐसे आयोजन की महत्ता बढ़ती है. वहीं, मिट्टी लेपन के जरिए अपने रोगों का इलाज कराने पहुंचे लोगों ने कहा, कि पहले गांव में ऐसी पद्धति खेल-खेल में अपनाई जाती थी. लोग स्वस्थ रहते थे. अब शहर में बसे हुए लोग गांव में जाते नहीं और मिट्टी को अपनाते नहीं. जबकि, आरोग्य मंदिर की चिकित्सा पद्धति यह बताती है की मिट्टी लेपन विभिन्न प्रकार के रोगों से आसानी से मुक्ति दिलाता है.
ये है चिकित्सा पद्धति:डॉ. विमल मोदी ने कहा, कि मिट्टी में वह शक्ति है कि वह किसी भी बीज को अपने में अंकुरित करते हुए पौधे से पेड़ बना देती है. तरह-तरह के फल सब्जियां और खाने योग्य सामग्री पैदा करती है. इसका उपयोग प्राकृतिक चिकित्सा में करके लोगों को स्वस्थ और सुखी जीवन प्रदान किया जा सकता है. इस दौरान डॉक्टर राहुल मोदी ने बताया, कि जमीन के 9 फीट नीचे से ऐसी मिट्टी को निकालकर विभिन्न प्रकार की शोधन प्रक्रिया को अपनाया जाता है. फिर सुबह की बेला में लोगों के शरीर पर इसका लेपन कर उन्हें हल्की धूप में बैठाया जाता है. स्नान करने के बाद भी लोग कुछ देर के लिए बिना वस्त्र के होते हैं, जिससे उनके शरीर के अंदर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह लेपन लोगों को त्वचा, सांस, कैंसर ,अर्थराइटिस समेत दर्जन बीमारियों से लाभ पहुंचता है. वहीं इसमें शामिल लोगों ने बताया कि उन्हें सोरायसिस, दाद-खुजली और अनिद्रा जैसी बीमारियों में तत्काल राहत महसूस हो रही है. घबराहट और बेचैनी भी उनकी समाप्त नजर आ रही है.
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