नालंदाः बिहार की सियासत में स्मार्ट मीटर का मुद्दा बड़ा बनता जा रहा है. पहले आरजेडी ने स्मार्ट मीटर उखाड़ फेंको अभियान शुरू किया तो अब कांग्रेस ने भी गांधी जयंती के मौके पर स्मार्ट मीटर के खिलाफ जन आंदोलन का आगाज किया. कांग्रेस ने सीएम के गृह जिले नालंदा से इसकी शुरुआत की, जहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद ने सरकार पर उद्योगपतियों के सामने झुकने का आरोप लगाया
'उद्योगपतियों के दबाव में लिया फैसला': स्मार्ट मीटर के खिलाफ जन-आंदोलन की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि नालंदा ऐतिहासिक स्थल है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह क्षेत्र माना जाता है, इसलिए यहां से आंदोलन की शुरुआत की गई है.
"पहले बिजली का बिल 1000 रुपए आता था, लेकिन जब से स्मार्ट मीटर घरों में लगाया गया है तब से 4 से 5 गुना अधिक बिजली बिल आ रहा है. सरकार ने उद्योगपतियों के दबाव में आकर स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला लिया है जो कि पूरी तरह गरीब विरोधी है इसलिए कांग्रेस ने सरकार की जनविरोधी नीति के खिलाफ आज से आंदोलन शुरू किया है." -अखिलेश प्रसाद सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
'वापस लेना होगा फैसला':स्मार्ट मीटर के खिलाफ कांग्रेस के आंदोलन की शुरुआत के मौके पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी नीतीश सरकार पर निशाना साधा और इसे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाला फैसला बताया.
"किसी बड़े उद्योगपति के दबाव में सरकार भूमि सर्वेक्षण हो या फिर स्मार्ट मीटर लगाने का तो फैसला कर लेती है, लेकिन जब जनता का दबाव होता है तो फिर उसे वापस लेती है. भूमि सर्वेक्षण की तर्ज पर स्मार्ट मीटर का फैसला भी सरकार को वापस लेना होगा."-मदन मोहन झा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस