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पिथौरागढ़ में बदहाल स्वास्थ्य सुविधा मामले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब - Pithoragarh Base Hospital

Lack of Health Facilities in Pithoragarh Hospitals पिथौरागढ़ जिले के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर माना है. साथ ही राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 24, 2024, 3:25 PM IST

नैनीताल:पिथौरागढ़ के बेस अस्पताल समेत जिले के अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं के कमी को लेकर दायर याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. ऐसे में अब पूरे मामले में तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी.

दरअसल, पिथौरागढ़ निवासी डॉक्टर राजेश पांडे ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि पिथौरागढ़ के बेस अस्पताल समेत जिले के अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. जिनमें डॉक्टरों की कमी, मेडिकल स्टाफ, टेक्नीशियन समेत अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है.

रेफर सेंटर बने पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चंपावत के अस्पताल:पिथौरागढ़ के नजदीकी जिले अल्मोड़ा और चंपावत में भी यही स्थिति है, जिसके चलते यहां आने वाले मरीजों को 250 किलोमीटर दूर हल्द्वानी रेफर किया जाता है. प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. कई बार तो गर्भवती महिलाओं और बच्चों को जरूरी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो पाती है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि कई केसों में तो गर्भवती महिलाओं की रेफर के दौरान 108 में ही डिलीवरी हो चुकी है. इतना ही नहीं दूर दराज के क्षेत्रों से आए गरीब तबके के लोग अपना इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं. याचिका में पिथौरागढ़ बेस अस्पताल में मूलभूत सुविधाएं और डॉक्टरों की तैनाती करने की मांग की गई है.

याचिका में कहा गया है कि इस संबंध में सीएमओ समेत रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए सरकार को कई पत्र भेजे गए, लेकिन उसके बाद भी कोई पद नहीं भरा गया. जबकि, पिथौरागढ़ सामरिक दृष्टि और अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा हुआ जिला है. इसलिए यहां मेडिकल की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए थी. बेस अस्पताल 70 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है. जिसे साल 2021 में स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया गया, उसके बाद भी नियुक्तियां नहीं हो पाई है.

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