नैनीताल:उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने हल्द्वानी उपद्रव के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी पर सुनवाई की. खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार से इस पर दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है. आज सोमवार को मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में हुई.
अब्दुल मलिक को फिलहाल नहीं मिलेगी जमानत:सुनवाई पर उनके अधिवक्ता के द्वारा कहा गया कि एकलपीठ ने बीती सोमवार को मलिक के जमानत प्रार्थनपत्र को यह कहकर खारिज कर दिया था कि इस मामले से सम्बंधित जमानत याचिकाओं की सुनवाई खंडपीठ कर रही है. इसलिए खंडपीठ में जाएं. जबकि राज्य सरकार द्वारा कहा गया था कि आरोपी पर यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं. एनआईए एक्ट के तहत सेशन कोर्ट को विशेष कोर्ट के अधिकार प्राप्त हैं और सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ में ही चुनौती दी जा सकती है.
दो हफ्ते बाद होगी अब्दुल मलिक की जमानत पर सुनवाई:इसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया था कि सेशन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है. इसलिये एकलपीठ जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर सकती है. आगे यह भी कहा गया कि इस मामले में रेगुलर पुलिस जांच कर रही. उन मामलों में खंडपीठ सुनवाई कर सकती है, जिसमें एनआईए ने जांच की हो और उस पर स्पेशल कोर्ट ने निर्णय दिया हो. यहां मामले की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया. सेशन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है.
पुलिस के अनुसार बनभूलपुरा हिंसा का मुख्य आरोपी है अब्दुल मलिक: मामले के अनुसार 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने गई प्रशासन और पुलिस की टीम पर अतिक्रमणकारियों के साथ ही सैकड़ों की संख्या में उपद्रवियों ने पथराव, आगजनी और गोलीबारी की. हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने कई गाड़ियों सहित थाने को घेरकर गोलाबारी की. जिसमें कई लोगों की मौके पर मौत हो गयी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे.
अब्दुल मलिक के वकील ने हाईकोर्ट में ये तर्क दिया: पुलिस की जांच के बाद पुलिस ने 107 से अधिक उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक आरोपी अब्दुल मलिक भी है. आज उनके द्वारा जमानत प्रार्थनपत्र में यह भी कहा है कि जिस दिन यह घटना हुई वो वहां न होकर दिल्ली में था. उसे बेवजह फंसाकर उसके ऊपर दंगा भड़काने और दंगाइयों का साथ देने का मुकदमा दर्ज कर दिया. जब अपराध किया ही नहीं तो झूठा मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया गया. इसलिए उसे जमानत दी जाये. सोमवार को अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थनपत्र की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने की.
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