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जेल में पिटाई से हुई कैदी की मौत, 3 कर्मचारियों के खिलाफ चलेगा केस , सीआईडी करेगी जांच - murder case against jail staff - MURDER CASE AGAINST JAIL STAFF

झालावाड़ की जिला जेल में गत माह हुई बंदी की मौत वास्तव में जेल कर्मचारियों की पिटाई से हुई थी. न्यायिक जांच में यह बात सामने आई है. अब ​जेल के तीन कार्मिकों के खिलाफ हत्या का मामला चलेगा.

murder case registered against three jail staff of Jhalawar in the case of prisoner's death
बंदी की मौत के मामले में झालावाड़ के तीन जेल कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 30, 2024, 2:02 PM IST

बंदी की मौत के मामले में झालावाड़ के तीन जेल कर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला

झालावाड़.जिला कारागृह में गत फरवरी में न्यायिक अभिरक्षा के दौरान एक बंदी की मौत हो गई थी. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपनी जांच में 3 जेल कर्मचारियों को बंदी की हत्या का आरोपी माना है. इनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं. अब तीनों के खिलाफ जांच सीआईडी करेगी.

झालावाड़ के पुलिस उपाधीक्षक हर्षराज सिंह खरेडा ने बताया कि मृतक झालरापाटन निवासी राजेंद्र पंवार था. वह किसी वारंट में वांछित चल रहा था. गत फरवरी में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया. न्यायालय ने 12 फरवरी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा. अगले दिन बंदी के शरीर पर चोट लगने तथा उसकी तबीयत बिगड़ने के चलते जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

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पुलिस उपाधीक्षक खरेडा ने बताया कि न्यायिक हिरासत में बंदी की मौत होने के कारण इसकी जांच सीआरपीसी की धारा 176 के तहत झालावाड़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपी गई थी. जांच में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बंदी की मौत को अप्राकृतिक बताया. उन्होंने माना कि बंदी के साथ मारपीट हुई है. सीजेएम ने इस मामले में तीन जेल कर्मचारियों हरदयाल गुर्जर, शिवचरण तथा राम भरत के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए.

पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि हिरासत में किसी बंदी की मौत के मामले में जांच करने का अधिकार क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट को है. ऐसे में इस पूरे प्रकरण में आगे का अनुसंधान सीआईडी द्वारा ही किया जाएगा. जांच के बाद ही आरोपियों के खिलाफ अगली कार्रवाई की जाएगी.

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बंदी की मौत पर मचा था सड़कों पर बवाल:झालरापाटन निवासी राजेंद्र की न्यायिक अभिरक्षा में मौत के मामले में शहर की सड़कों पर वाल्मीकि समाज द्वारा प्रदर्शन किया गया था. परिजनों ने बंदी की मौत के बाद उसके शव को लेने से इनकार कर दिया था. इसके बाद मौके पर पहुंचे आला अधिकारियों द्वारा मामले की न्यायिक जांच का आश्वासन देने के बाद परिजन माने. बाद में मेडिकल बोर्ड का गठन कर मृतक के पोस्टमार्टम करवाया गया . बंदी के हिरासत में हुई मौत के कारण इसकी जांच झालावाड़ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा की जा रही थी.

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