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मध्य प्रदेश में आफत की बारिश, बड़वानी के कई गांव फिर बने टापू, डूब का बढ़ा खतरा - Barwani Villages Flood Situation

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 13, 2024, 7:38 AM IST

बरसात के मौसम के करीब ढाई माह हो गए हैं. इस साल एमपी के कई जिलों में अच्छी बारिश हुई है. लगभग बारिश का कोटा पूरा हो गया है. वहीं बडवानी में बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. जिले के 3 गांव टापू बन गए हैं. यहां के लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं.

BARWANI HEAVY RAIN CAUSES FLOOD
भारी बारिश के चलते कई गांवों में बाढ़ का खतरा (ETV Bharat)

बड़वानी: एमपी में इस बार हुई बारिश कई जिलों में आफत ला रही है. बड़वानी में लगातार हुई बारिश ने नर्मदा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर ला दिया है. तेजी से बढ़ रहे बैक वाटर के पानी से 60 से ज्यादा गांव पर संकट मंडरा रहा है. जबकि 3 गांव बड़वा, जांगरवा और राजघाट कुकरा टापू में तब्दील हो चुके हैं. वहीं 17 परिवार ऐसे है जो इन मुश्किल हालात में भी यहीं डटे हैं और इनका पुर्नवास नहीं हो सका है.

टापू बने गांवों में 17 परिवार मुश्किल हालात में जीने को मजबूर (ETV Bharat)

मजबूरी है नाव से आना

टापू बन चुके गांव के निवासी देवेन्द्र सोलंकी बताते हैं कि "2019 में जब पूरी तरह से ये गांव डूब में आए थे, तब संपूर्ण पुर्नवास नहीं हुआ था. हमारी जमीन तो यही हैं और हमारे मवेशी भी यही हैं, छोड़कर कहां जाएंगे." उन्होंने कहा कि 2019 में जब पहली बार पानी भरा था, तब ये स्थिति बनी थी, लेकिन तब पुर्नवास ही ठीक से नहीं हुआ. खेत भी हमारे यही हैं, हम कैसे छोड़ दें. नाव से आना जाना पड़ता है. राजघाट परिवार में रह रहे ग्रामीणों की समस्या ये है कि अगर वे अपना घर छोड़कर गए तो सब खत्म हो जाएगा.

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बारिश में हर साल टापू बन जाते हैं ये गांव

ईटीवी भारत ने जब ग्राउण्ड जीरो पर जाकर देखा, तो यहां पता चला कि ये 3 गांव जांगरवा, बड़वा और राजघाट कुकरा बारिश में हर साल इसी तरह से टापू बन जाते हैं. हर बरसात इन गांव वालों के लिए इम्तेहान बनकर आती है. नर्मदा के बैक वाटर से सटे राजगठा कुकरा गांव के लोग 2019 के बाद से लगातार पुर्नवास की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. हालात ये हैं कि पानी में सब डूब जाने के बाद जो बचा है. वहां बुनियादी जरूरते नहीं हैं. बिजली कटी हुई है, रास्ते कीचड़ में तब्दील हो चुके हैं. बारिश की मार झेलकर घर के हिस्से धराशाई हो चुके हैं. वहीं छोटी सी जगह में मवेशी भी हैं और इंसानों का आशियाना भी बना रखा है. प्रशासन ने अस्थाई इंतजाम के तौर पर टीन शेड लगाए हैं.

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