रांचीः संथाल में घुसपैठ को लेकर सांसद निशिकांत दुबे ने फिर हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है. हाइकोर्ट का निर्देश नहीं मानने का आरोप लगाया है. वहीं घुसपैठ मामले में आज झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी.
बता दें कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया के जरिए कहा है कि संथाल में आदिवासी समाज की संख्या 45 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत हो गई है. जबकि मुस्लिम की संख्या 9 प्रतिशत से 25 प्रतिशत बढ़ गई है. यह बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण हुआ है. लव जिहादी और लैंड जिहादी कांग्रेस और झामुमो वोट बैंक की राजनीति के कारण हमारी आत्मा पर चोट कर रहे हैं. लेकिन बांग्लादेशी बसाओ वोट बैंक की राजनीति के कारण हाईकोर्ट का निर्देश मानने से राज्य सरकार ने इनकार कर दिया. भारत ग्रेटर बांग्लादेश बनने की ओर...
इस कमेंट के साथ सांसद निशिकांत दुबे ने हाईकोर्ट में केशब विश्वास नामक शख्स द्वारा फाइल एफिडेविट की कॉपी साझा की है. इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट के 20 सितंबर के निर्देश के आलोक में 29 सितंबर को नई दिल्ली में राज्य के मुख्य सचिव और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव के बीच मीटिंग हुई थी. मीटिंग के दौरान केंद्र की ओर से स्पष्ट किया गया है कि प्राथमिक तौर पर घुसपैठियों की पहचान करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. लेकिन राज्य सरकार ने इस दिशा में कोई एक्शन नहीं लिया. फिर भी इस मामले में राज्य सरकार को हर सहयोग के लिए तैयार हैं. हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में मीटिंग के दौरान केंद्र सरकार ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के लिए नाम प्रस्तावित करने का भी सुझाव दिया था.
केशब विश्वास के एफिडेवेट के मुताबिक राज्य के मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य सरकार फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन के पक्ष में नहीं है. यह कहते हुए राज्य सरकार ने इस निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. केंद्रीय गृह सचिव और मुख्य सचिव के बीच हुई मीटिंग के दौरान इस बात पर सहमति बनी है कि अगली मीटिंग में घुसपैठ को रोकने के लिए निवारक उपाय पर चर्चा की जाएगी. आपको बता दें कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ को सत्य बताकर एफिडेविट फाइल करने वाले केशब विश्वास, केंद्रीय गृह मंत्रालय में बीओआई के असिस्टेंट डायरेक्टर हैं.
गौरतलब है कि संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में दानयाल दानिश की जनहित याचिका पर आज झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है. इस आधार पर खंडपीठ ने 13 नवंबर को सुनवाई की अगली तारीख तय की है. इससे पहले 20 सितंबर को सुनवाई के दौरान एक्टिस चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन और कमेटी में एक्सपर्ट के नाम तय करने को लेकर 30 सितंबर से पहले एफिडेविट फाइल करने का आदेश दिया था.