भोपाल।काउंटिंग के दिन मतगणना की शुरूआत ड्यूटी में लगने वाले कर्मचारियों के रेंडमाइजेशन से होती है. कम्प्यूटर के माध्यम से कर्मचारियों को उनके टेबल नंबर अलॉट किए जाते हैं, जिससे उन्हें पता चलता है कि वे किस टेबल पर काउंटिंग कराएंगे. इसके बाद सुबह 7 बजे सभी दल के उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि की मौजूदगी में रिटर्निंग ऑफीसर स्ट्रांग रूम का ताला खुलवाते हैं. यहां चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर भी होते हैं. इसकी वीडियोग्राफी होती है. इसके बाद ईवीएम को काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है.
टेबल पर कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान
टेबल पर कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान कर पार्टी उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों को दिखाया जाता है. इसके बाद शुरू होती है काउंटिंग. इसके लिए हॉल की सभी टेबल पर एक साथ कंट्रोल यूनिट का बटन दबाया जाता है, जिसमें कुल वोट और किसे कितने वोट मिले, यह स्क्रीन पर दिखने लगता है. इसके एजेंटों को नोट कराया जाता है. इस तरह हर राउंड के आंकड़ों को नोट किया जाता है. एक राउंड पूरा होने पर उसकी रिपोर्ट तैयार कर रिटर्निंग ऑफिसर के साइन से इसके आंकड़े जारी किए जाते हैं.
यदि ईवीएम ही न खुले तो क्या होगा ?
काउंटिंग के दौरान यदि कोई ईवीएम ओपन न हो या उसकी बैटरी डिस्चार्ज हो जाए तो ऐसी स्थिति में उस ईवीएम को अलग रख दिया जाता है और बाद में उस मशीन की वीवीपेट से पर्चियों की काउंटिंक कराई जाती है. काउंटिंग सेंटर्स पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. प्रदेश के सभी काउंटिंग सेंटर्स पर थ्री लेयर सुरक्षा व्यवस्था की गई है. प्रदेश में ईवीएम की सुरक्षा के लिए सेंट्रल फोर्सेस की 18 कंपनियां तैनात की गई हैं. इसके बाद 45 कंपनियां एसएएफ की तैनात रहेंगी. साथ ही 10 हजार जिला पुलिस बल के जवानों की तैनाती की गई है.
ईवीएम के लिए कलर कोडिंग
ईवीएम को स्ट्रांग रूम से निकालने के लिए कलर कोडिंग की गई है. यह कलर कोडिंग अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से की गई है. स्ट्रांग रूम से काउंटिंग टेबल तक ईवीएम को ले जाने वाले कर्मचारियों के कपड़े कलर कोडिंग के हिसाब से ही होंगे. ईवीएम की गिनती प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय पर, जबकि पोस्टल बैलेट की काउंटिंग प्रदेश के 29 जिलों में होगी. यह अलग कक्ष में रिटर्निंग ऑफिसर की निगरानी में होगी. काउंटिंग सुबह 8 बजे से शुरू होगी. भिंड में सबसे ज्यादा 8349 पोस्टल बैलेट्स हैं, जिनकी गिनती के लिए 15 टेबल लगाई गई हैं. सबसे कम 2154 पोस्टल बैलेट्स दमोह में हैं.