Rewa Election Results 2024 Live :लोकसभा चुनाव के संपन्न होने के बाद अब 4 जून को सुबह 8 बजे EVM मशीन में कैद प्रत्याशियों के भाग्य का ताला खुलेगा और वोटों की गिनती की जाएगी. जिसके बाद जीत और हार का फैसला होगा. काउंटिंग से ठीक पहले रीवा में प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ चुकी हैं. वैसे तो इस चुनाव में रीवा लोकसभा सीट से 14 उम्मीदवार अपना अपना भाग्य आजमाने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे थे लेकिन इस सीट की अगर बात करें तो यहां 1952 से लेकर अब तक हुए 17 चुनावों में कांग्रेस, बीजेपी और बसपा का ही दबदबा देखने को मिला. 2024 के विधानसभा चुनाव में भी इन्हीं 3 पार्टियों का दबदबा दिखाई दिया लेकिन कांटे की टक्कर केवल बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच ही देखी गई.
67 वर्षों में दिलचस्प रही विंध्य की राजनीति
अगर बात करें विंध्य के रीवा में सियासत की तो यह क्षेत्र अपने आप में एक महान विरासत को समेटे हुए है. आजादी के बाद से ही विंध्य के रीवा की सियासत बेहद दिलचस्प रही है. रीवा संसदीय सीट पर 1952 से लेकर वर्ष 2019 तक 67 सालों के दौरान अब तक यहां पर 17 लोकसभा चुनाव हुए जिसमें 11 सांसद चुने गए. यह सीट हमेशा ही अनारक्षित रही और यहां की जनता ने कांग्रेस के अलावा किसी भी पार्टी को ज्यादा समय तक टिकने का मौका ही नहीं दिया. वर्ष 1951-52 के दरमियान यहां पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए.
1952 से 1967 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा
देश आजाद होने के बाद 1952 में रीवा संसदीय सीट का पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ. जिसके बाद 1952 से लेकर 1967 तक लगातार 4 बार यह संसदीय सीट कांग्रेस के कब्जे में रही. इसके बाद 1971 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हसिल की. 1977 में इस सीट से भारतीय लोकदल पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज कराई. 1980 में यह सीट एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीती.
1998 में रीवा संसदीय सीट से बीजेपी ने खोला खाता
1984 में एक बार फिर इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई लेकिन 1989 के चुनाव में जनता दल के प्रत्याशी ने इस सीट पर कब्जा कर लिया. 1991 के चुनाव में बसपा ने इस सीट से अपना खाता खोला और 1996 में बसपा ने दूसरी बार इस सीट पर अपना कब्जा जमाया. 1998 में इस सीट से बीजेपी ने पहली बार खाता खोला और जीत हासिल की. 1999 के लोकसभा चुनाव में कई वर्षो बाद एक बार फिर कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया. वर्ष 2004 के चुनाव में बीजेपी ने दोबारा जीत दर्ज कराई. वहीं 2009 में यहां पर बसपा ने तीसरी बार जीत हासिल की. 2014 में बीजेपी ने फिर कब्जा जमाया और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने चौथी बार जीत दर्ज कराई.
1952 से 2019 तक कौन-कौन बने सांसद
- 1952 में राजभान सिंह तिवारी जीते - पार्टी कांग्रेस
- 1957 में शिवदत्ता उपाध्याय जीते - पार्टी कांग्रेस
- 1962 में शिवदत्ता उपाध्याय जीते - पार्टी कांग्रेस
- 1967 में एस एन शुक्ला जीते - पार्टी कांग्रेस
- 1971 में महाराजा मार्तण्ड सिंह जीते - निर्दलीय
- 1977 में यमुना प्रसाद शास्त्री जीते - पार्टी भारतीय लोकदल
- 1980 में महाराजा मार्तण्ड सिंह जीते - निर्दलीय
- 1984 में महाराजा मार्तण्ड सिंह जीते - निर्दलीय
- 1989 में यमुना प्रसाद शास्त्री जीते - पार्टी जनता दल
- 1991 में भीम सिंह पटेल जीते - पार्टी बसपा
- 1996 में बुद्धसेन पटेल जीते - पार्टी बसपा
- 1998 में चंद्रमणि त्रिपाठी जीते - पार्टी बीजेपी
- 1999 में पं. श्रीनिवास तिवारी - पार्टी कांग्रेस
- 2004 में चंद्रमणि त्रिपाठी जीते - पार्टी बीजेपी
- 2009 में देवराज सिंह पटेल जीते - पार्टी बसपा
- 2014 में जनार्दन मिश्रा जीते- पार्टी बीजेपी
- 2019 में जनार्दन मिश्रा जीते- पार्टी बीजेपी