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मध्य प्रदेश में खाद की कालाबाजारी, गोदाम में रखी थी सैकड़ों बोरी खाद

छिंदवाड़ा के दमुआ में पकड़ी गई खाद की कालाबाजारी, दर्ज की गई एफआईआर, जानिए क्या है सजा का प्रावधान

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मध्य प्रदेश में खाद की कालाबाजारी (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 5 hours ago

छिंदवाड़ा: प्रदेश भर में खाद की किल्लत के चलते हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन कुछ ऐसे व्यापारी हैं जो खाद का स्टॉक करके कालाबाजारी करते हैं. ऐसा ही छिंदवाड़ा के दमुआ में कुछ व्यापारी द्वारा किया जा रहा था. कृषि विभाग ने एक व्यापारी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया है.

व्यापारी कर रहे थे खाद की जमाखोरी

25 अक्टूबर 2024 को मिली सूचना के आधार पर कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग को थाना दमुआ क्षेत्र में खाद के अवैध भंडारण की सूचना मिली थी. यहां एक कृषि सेवा केन्द्र के प्रतिष्ठान व घर पर ताला लगा पाया गया. इसके बाद वार्ड क्रमांक 7 में स्थित उसी मालिक की एक गोदाम की जांच की गई. जहां संयुक्त दल को मौके से संदिग्ध उर्वरक मिला. टीम को यहां से एनएलएफ कंपनी की यूरिया 650 बैग व प्रगति किसान कंपनी का पोटाश 16 बैग जब्त किया गया. इसके बाद गोदाम मालिक उर्वरक भंडारण से संबंधित किसी भी प्रकार के दस्तावेज अधिकारियों को नहीं दिखा पाया. इस स्थिति में अनुविभागीय कृषि अधिकारी एवं उर्वरक निरीक्षक ने मालिक के खिलाफ दमुआ थाने में मामला दर्ज कराया है.

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प्रदेश में हैं 6 उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण की प्रयोगशालाएं

उप संचालक किसान कल्याण व कृषि विकास अधिकारी जितेन्द्र कुमार सिंह ने इस मामले की जानकारी दी है. उर्वरक विभिन्न फसलों के उत्पादन में प्रमुख आदान है. उर्वरक को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत रखा गया है. उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के अंतर्गत प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है. प्रदेश में 6 उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण की प्रयोगशालाएं हैं. ये प्रयोगशालाएं भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन एवं सागर में संचालित हैं.

इन प्रयोगशालाओं से ही अमानक स्तर पर उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर निगरानी रखती हैं. आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 7 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी निर्देश का पालन नहीं करता है तो उसे 3 महीने से कम नहीं और सात साल तक की जेल हो सकती है. इसके साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है और संबंधित व्यक्ति का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.

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