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32 यूनिवर्सिटी के कुलगुरु को 10 साल पढ़ाने का तजुर्बा नहीं, विधानसभा में सरकार ने दी जानकारी - MP 32 VICE CHANCELLORS UNFIT

मध्य प्रदेश में एक बार फिर गजब कारनामा सामने आया है. प्रदेश के 54 विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं से 32 कुलगुरु आयोग्य निकले हैं.

MP 32 VICE CHANCELLORS UNFIT
मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों के 32 कुलगुरु आयोग्य (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 6 hours ago

भोपाल: मध्य प्रदेश की 32 विश्वविद्यालय में ऐसे कुलगुरु बना दिए गए, जिनके पास 10 साल बतौर प्रोफेसर पढ़ाने का तजुर्बा भी नहीं है. इन कुलगुरुओं को निजी विश्वविद्यालय प्रबंधकों द्वारा नियमों की अनदेखी कर कुलपति के पद पर बैठा दिया गया, लेकिन अब इन कुलगुरुओं को हटाने की कार्रवाई की जा रही है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी सदन में सरकार ने दी है. सरकार ने बताया है कि प्रदेश में संचालित 53 निजी विश्वविद्यालयों में से सिर्फ 21 विश्वविद्यालय के कुलगुरु ही योग्य पाए गए हैं.

प्रदेश की सिर्फ 21 यूनिवर्सिटी के कुलगुरु ही योग्य

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल पूछा था कि "मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने लगभग 32 निजी यूनिवर्सिटी को एक नोटिस जारी कर मानकों का पालन कर कुलगुरु की नियुक्ति किए जाने के संबंध में निर्देश दिए गए हैं. विश्वविद्यालयवार बताएं कि किन-किन को मापदंडों के विपरीत नियुक्ति दी गई और इनमें से किस-किस को हटाया गया है." जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमारने बताया, "मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा 20 सितंबर 2024 को पत्र जारी कर अयोग्य कुलगुरुओं को तत्काल हटाने के आदेश विश्वविद्यालय के कुलाधिपति को दिए गए हैं."

54 विश्वविद्यालय में से 32 कुलगुरु अयोग्य निकले

विधानसभा में बताया गया कि यूजीसी के रेगुलेशन के अनुसार प्रदेश के 21 निजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु ही योग्य पाए गए हैं. जबकि 32 कुलगुरु योग्य नहीं पाए गए. यह कुलगुरु प्रोफेसर पद पर 10 साल के अनुभव को स्पष्ट नहीं कर पाए. इसके चलते इन्हें कुलगुरु पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है. विधानसभा में बताया गया कि इन विश्वविद्यालयों को अयोग्य पाए गए कुलगुरुओं को तत्काल पद से हटाते हुए कार्यवाहक कुलगुरु की नियुक्ति योग्यता और मापदंड के अनुसार करने के निर्देश दिए गए हैं. विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन और अभिलेखों का परीक्षण समिति के समक्ष प्रक्रियाधीन है.

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