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नल पाइप और टोटी लेकर विधानसभा पहुंचे कांग्रेस विधायक, ये कैसा प्रदर्शन - MP ASSEMBLY CONGRESS UNIQUE PROTEST

मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन में हुई कथित गड़बड़ियों के विरोध में कांग्रेस के विधायकों ने अनोखा प्रदर्शन किया. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने गंभीर आरोप लगाये.

Congress MLA with Tap and Pipe in MP Assembly
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 9 hours ago

भोपाल:मध्य प्रदेश के विधानसभा में गुरूवार को अलग नजारा दिखाई दिया. कांग्रेस विधायक सदन में नल के पाइट और टोटी लेकर पहुंच गए. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि "बीजेपी के जल जीवन मिशन में लगाए गए नल से पानी नहीं, सिर्फ हवा आती है, क्योंकि पानी तो बीजेपी के भ्रष्टाचार में बह चुका है." जल जीवन मिशन को लेकर सरकार पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस विधायक हाथों में नल के पाइप और टोटी लेकर पहुंचे. कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया. हालांकि, बाद में सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें इसे सदन में ले जाने से रोक दिया.

नल की टोटी से सिर्फ हवा आती है...

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि "बीजेपी का जल जीवन मिशन एक छलावा बन गया है. इस योजना का न कोई ठोस आधार और न ही दिशा. इस योजना के नाम पर अधिकारियों से लेकर मंत्री तक ने जमकर कमीशन खाया है. यही वजह है कि इस योजना के तहत लगाए गए नल में पानी नहीं आता, बल्कि इसे चालू करो तो सिर्फ हवा निकलती है."

कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन की यह स्थिति किसी एक विधानसभा की नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इस योजना में बेहद घटिया काम हुआ है. सरकार की योजना सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई है.

विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों ने अनोखा प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

पिछले विधानसभा सत्र में भी उठा था मामला

जल जीवन मिशन को लेकर पिछले विधानसभा सत्र में भी मामला जोर-शोर से उठ चुका है. उस समय विपक्षी विधायकों के अलावा सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी प्रदेश में इस योजना को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे. जल जीवन मिशन में प्रदेश में करीबन 10 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च हो चुकी है.

प्रदेश में इस योजना में गड़बड़ी का मामला केन्द्र सरकार की रिपोर्ट में भी सामने आ चुका है. केन्द्र सरकार ने अपने स्तर पर एक निजी एजेंसी से जुलाई माह में मध्य प्रदेश में 1271 सर्टिफाइड गांवों का सर्वे कराया था. इनमें से सिर्फ 209 गांव ही मानकों पर खरे उतरे थे. जांच में सामने आया कि 217 गांवों में नल कनेक्शन होने के बाद यहां पानी नहीं पहुंचा.

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